🚩 हारे का सहारा, बाबा श्याम हमारा!
श्री खाटू श्याम जी को कलियुग में महाभारत के महावीर बर्बरीक के रूप में जाना जाता है, जो भीम के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र थे। उन्हें पुराणों में ‘हारे का सहारा’ भी कहा जाता है। यानी जीवन में यदि आप हारा हुआ, असहाय महसूस कर रहे हैं, कोई भी मदद का हाथ बढ़ता हुआ नज़र नहीं आ रहा तो सीधे खाटू श्याम तक अपनी दबी हुई इच्छाएं पहुंचाने का अवसर आ गया है। जिन कामों को हम साल 2025 के अंत तक संपन्न कर लेना चाहते थे, वे अब तक अधूरे रहे। साल 2026 में ऐसी कामनाओं के लिए उज्जैन के श्री खाटू धाम में 2026 दिव्य संकल्प सिद्धि पूजा होने जा रही है। यह अपने आप में एक दिव्य अनुष्ठान है, जिसमें आपको अपने मन की इच्छा सीधे भगवान तक समर्पित करने का अवसर मिल रहा है।
🚩 श्रृंगार एवं अभिषेक सेवा:
इस संकल्प सिद्धि में खाटू श्याम जी का अभिषेक और श्रृंगार अत्यंत दिव्य और मनोहर अनुष्ठान माना गया है। विद्वान पुरोहितों द्वारा श्याम बाबा का अभिषेक दुग्ध, दही, शहद, घृत और पंचामृत से किया जाता है, जिससे मंदिर में अद्भुत सौम्यता और भक्ति भाव जागृत होता है। इसके बाद दिव्य श्रृंगार किया जाता है, जिसमें इत्र, चंदन, गुलाल, फूल-मालाओं, चूड़ामणि, मुकुट, कंठहार और रत्नाभूषणों की शोभा रहती है। बाबा का नील-श्याम रूप दीपों की ज्योति में और भी तेजोमय हो जाता है। मान्यता है कि इस करुणामयी माहौल में संकल्प सिद्धि की राह सामान्य से कहीं ज्यादा फलदायी हो सकती है।
🚩 श्री खाटू श्याम की कथा के अंश:
महावीर बर्बरीक के पास 3 अमोघ बाण थे और उन्होंने यह संकल्प लिया था कि वे सदैव कमजोर पक्ष का साथ देंगे। उनके इस संकल्प को जानकर भगवान श्रीकृष्ण ने साधु का वेश धारण कर उनसे भेंट की। श्रीकृष्ण को ज्ञात हुआ कि यदि बर्बरीक युद्ध में सम्मिलित हुए तो धर्म की रक्षा कठिन हो जाएगी, इसलिए धर्म की स्थापना के लिए श्रीकृष्ण ने उनसे शीशदान मांगा, जिसे बर्बरीक ने हंसते हुए स्वीकार कर लिया और अपना शीश अर्पित कर दिया। इस अद्भुत बलिदान से प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि कलियुग में वे उनके ही नाम यानी ‘श्याम’ नाम से पूजे जाएंगे। वरदान के अनुसार, जो भी उन्हें सच्चे मन से याद करेगा, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।
🚩 खाटू श्याम मनोकामनापूर्ति पूजा:
इस रविवार को उज्जैन के श्री खाटू श्याम मंदिर में होने जा रही मनोकामनापूर्ति आराधना बेहद ख़ास है। इस अनुष्ठान में आपकी इच्छा को आदरपूर्वक बाबा के चरणों में समर्पित किया जाएगा। श्री मंदिर द्वारा आयोजित इस अनुष्ठान में भाग लें और मन में वही इच्छाएं सोचें, जो सीधे बाबा श्याम तक आपको पहुंचानी हैं।