कार्तिगाई दीपम दक्षिण भारत का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्राचीन पर्व है, जिसे खासकर तमिलनाडु में बड़े उत्साह और भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है। इसे भगवान शिव की असीम ज्योति के प्रतीक के रूप में माना जाता है। पुराणों में वर्णित है कि ब्रह्मा और विष्णु के बीच श्रेष्ठता को लेकर विवाद हुआ। तब भगवान शिव ने अज्ञान और अहंकार को दूर करने के लिए अग्नि का अनंत स्तंभ रूप धारण किया, जिसका न आरंभ था और न अंत। भगवान विष्णु वराह रूप लेकर इसकी जड़ खोजने गए और ब्रह्मा हंस बनकर इसकी शिखर की खोज में आकाश में उड़ गए, पर दोनों असफल रहे। उन्होंने शिव के अनंत और सर्वोच्च स्वरूप को स्वीकार किया।
उस अग्नि स्तंभ ने देवताओं की प्रार्थनाओं पर शांति प्राप्त की और यही पवित्र स्थल अरुणाचल पर्वत बन गया, जहाँ आज भी भगवान शिव की दिव्य ऊर्जा विद्यमान है। जीवन में कई बार हम चुनौतियों और परेशानियों के बीच खुद को खोया हुआ महसूस करते हैं। परिवार, करियर या स्वास्थ्य में बाधाएँ मन को चिंता, भय और असहायपन से भर देती हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि ऐसी जटिलताएँ तब आती हैं जब हम अपनी आंतरिक ज्योति और ईश्वर से संबंध खो देते हैं। ऐसे समय में हमें उसी प्रकाश की ओर लौटना चाहिए, जो अज्ञान और अहंकार को मिटा सकता है।
जीवन में इसी प्रकाश की कामना के लिए अरुणाचलम तीर्थ क्षेत्र में 108 दीये जलाकर कार्तिगाई दीपम महोत्सव मनाया जाएगा और इसके साथ ही रुद्राभिषेक और शिव-रुद्र हवन का आयोजन भी किया जाएगा। यहाँ किया जाने वाला रुद्राभिषेक पूजा और शिव-रुद्र हवन हमारे भीतर छिपी दिव्य शक्ति को फिर से जगाने का साधन बनता है। इस पूजा में शिवलिंग का पवित्र स्नान और श्री रुद्रम का पाठ किया जाता है, जिससे नकारात्मक कर्म और बाधाएँ शुद्ध होती हैं। कहते हैं कि इस दिव्य हवन के माध्यम से आपकी प्रार्थनाएँ सीधे भगवान अरुणाचलेश्वर तक पहुँचती हैं। साथ इन दीपों के प्रकाश से घर, मंदिर और पर्वत जगमगाते हैं और जीवन में शक्ति, सकारात्मक ऊर्जा और आशीर्वाद का संचार होता है।
🙏 आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस पवित्र पूजा में भाग लेकर भगवान अरुणाचलेश्वर की असीम ज्योति ✨ को अपने जीवन में आमंत्रित कर सकते हैं।