हिंदु धर्म में भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी का विशेष महत्व है। साल में कुल 24 एकादशी होती है और हर माह कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में एक-एक एकादशी पड़ती है। हिंदु पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पापांकुशा एकादशी कहते हैं। मान्यता है कि इस भगवान विष्णु का व्रत रखने और पूजा करने से जाने-अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिल सकती है। ऐसा माना जाता है कि इस शुभ दिन पर पुत्र कामेष्टि हवन करने से अत्यंत शुभ फल प्राप्त होते हैं। वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में वर्णित है कि, त्रेतायुग में गुरु वशिष्ठ ने राजा दशरथ को पुत्र कामेष्टि हवन करने की सलाह दी थी। उनके मार्गदर्शन का पालन करते हुए राजा दशरथ ने यह हवन किया था, जिससे उनकी रानियों को पुत्र की प्राप्ति हुई। इस यज्ञ ने राजा दशरथ को भगवान राम जैसे पुत्र का पिता बनने का दिव्य सौभाग्य प्रदान किया। हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को समर्पित पुत्र कामेष्टि हवन एक महत्वपूर्ण और पवित्र अनुष्ठान माना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि पापांकुशा एकादशी के शुभ दिन पर कलियुग में पुत्र कामेष्टि हवन करने से माता-पिता अपने बच्चों की खुशहाली और समृद्धि के लिए आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। मान्यता है कि कलियुग में पापांकुशा एकादशी के पावन दिन पर पुत्र कामेष्टि हवन करने से माता-पिता को अपनी संतान की खुशहाली और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसलिए पापांकुशा एकादशी के शुभ दिन पर दक्षिण भारत के तिरुनेलवेली में स्थित एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर में विद्वान पंडितों द्वारा पुत्र कामेष्टि हवन का आयोजन किया जाएगा। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और अपने बच्चों की भलाई के लिए भगवान विष्णु से विशेष आशीर्वाद प्राप्त करें।