🔱 साल 2025 की 4 सबसे पवित्र रातों में से एक ‘मोहरात्रि’ पर पाएं दो महाशक्तियों का आशीर्वाद
कालाष्टमी पर श्री श्री दक्षिण काली माता का पूजन बेहद शुभ और प्रभावशाली माना गया है। दक्षिण काली माता, शक्ति के बेहद उग्र रूप में पूजी जाती हैं, जो नकारात्मक ऊर्जाओं का क्षणभर में नाश करती हैं। मोहरात्रि और कालाष्टमी के विशेष और शुभ संयोग में, श्री श्री दक्षिण काली माता का महानीशा पूजन कलीयुग में आपकी इच्छाओं की पूर्ति, समृद्धि और जीवन में आशीर्वाद लाने के लिए बहुत प्रभावी माना जाता है। भक्तों का विश्वास है कि जब मां काली की उग्र सुरक्षात्मक शक्ति, श्री कृष्ण की सौम्य बालरूपी लीलाओं से जुड़ती है तो यह अनुष्ठान कई गुना प्रभावशाली हो जाता है। यह पूजन, स्तोत्र पाठ और हवन इस साल का सबसे दुर्लभ अवसर है, जिसे हाथ से न जाने दें।
🕉️ मोहरात्रि और कालाष्टमी का शुभ संयोग:
सनातन धर्म में साल की 4 महारात्रिओं का विशेष महत्व है, जिनमें मोहरात्रि, कालरात्रि, दारुण रात्रि और अहोरात्रि। इनमें से मोहरात्रि, जन्माष्टमी की रात को कहा जाता है, जब भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। इसे मोहरात्रि इसलिए भी कहा जाता है, क्योंकि इस रात भगवान कृष्ण ने दुनिया को मोहने वाली लीलाएं की थीं और इस रात भक्ति-भाव से की गई आराधना मोह-माया से मुक्ति दिला सकती है।
✨ इसी के साथ ही मोहरात्रि और जन्माष्टमी दोनों ही हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व हैं, जो भक्ति और साधना का प्रतीक माने गए हैं। इस संयोग को शास्त्रों में बेहद दुर्लभ माना गया है, जिसमें श्री श्री दक्षिण काली माता का महानिशा पूजन किया जाता है।
💫 श्री श्री दक्षिण काली माता, जो मां काली का ही स्वरूप हैं। हिन्दू धर्म में एक शक्तिशाली देवी मानी गई हैं, जो 10 महाविद्याओं में पहली हैं। श्री श्री दक्षिण काली माता की विधिवत तंत्र साधना और उपासना से जीवन में शांति, समृद्धि और रक्षात्मक शक्तियों की प्राप्ति संभव है। मोहरात्रि और कालाष्टमी के शुभ मुहूर्त में महाशक्ति का यह अनुष्ठान जीवन की सभी बाधाओं से राहत का आशीर्वाद देता है। मान्यता है कि मोहरात्रि के इस अनुष्ठान से भक्तों कलियुग की बुरी शक्तियों से सुरक्षा की सही दिशा मिलती है।
🕉️ महानिशा पूजन, स्तोत्र पाठ और हवन:
श्री कृष्ण के जन्मोत्सव की रात मां काली का महानिशा पूजन, स्तोत्र पाठ और हवन विशेष रूप से शक्ति और तंत्र साधना से संबंधित है, जिसे विद्वान ब्राह्मणों द्वारा संपन्न कराया जाता है। यह पूजा रात्रि के समय दिव्य काल में जाती है, जिसमें काली देवी के मंत्रों का जाप, उनके स्तोत्रों का पाठ और हवन विधि द्वारा देवी की कृपा पाने का प्रयास किया जाता है। मोहरात्रि और कालाष्टमी का गहरा संयोग इस अनुष्ठान को बेहद ख़ास बना देता है।
श्री मंदिर द्वारा श्री श्री दक्षिण काली माता महानिशा पूजन, स्तोत्र पाठ एवं हवन में भाग लेकर मोहरात्रि-कालाष्टमी पर मां काली-कृष्ण जी से जीवन में नए बदलावों का आशीर्वाद पाएं।