🚩 इस कालाष्टमी, शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर में होने वाले दिव्य अनुष्ठान से पाएं जीवन की हर बाधा, भय और शत्रुता से राहत का मार्ग 🚩
हिंदू धर्म में कालाष्टमी की रात्रि माँ काली की पूजा के लिए बहुत ही पवित्र और प्रभावशाली मानी जाती है। यह वो रात होती है जब माँ काली अपने प्रचण्ड और रौद्र रूप में जाग्रत होती हैं और अपने भक्तों के जीवन से डर, संकट, शत्रुओं की बाधा और नकारात्मक ऊर्जा का नाश करती हैं।ऐसा माना जाता है कि माँ काली ने दस अलग-अलग रूपों में संसार के कल्याण के लिए अवतार लिया था। इन अवतारों में दक्षिणा काली का स्वरूप सबसे अधिक शक्तिशाली और रक्षक रूप में जाना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, माँ के इस रूप से स्वयं यमराज भी भयभीत रहते हैं। जो भक्त श्रद्धा और विश्वास से माँ की उपासना करते हैं, उन्हें अकाल मृत्यु, भय और जीवन की अनदेखी परेशानियों से मुक्ति मिलती है। वहीं अगर कालाष्टमी शनिवार के दिन पड़ती है, तो यह योग और भी दुर्लभ और फलदायी माना जाता है। शनिवार को तामसिक और नकारात्मक शक्तियों को शांत करने का विशेष महत्व होता है।
इस दिन की गई पूजा, हवन और मंत्रों का जाप साधक के जीवन में आत्मबल और स्थायी सुरक्षा की भावना पैदा करता है। इसी शुभ अवसर पर पश्चिम बंगाल स्थित प्रसिद्ध शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर में श्री श्री दक्षिणा काली माता की कालाष्टमी विशेष पूजा, हवन और स्तोत्र पाठ का भव्य आयोजन किया जा रहा है। यह वही स्थान है जहाँ देवी सती के दाहिने पैर की उंगली गिरी थी, जिस कारण यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में सबसे प्रमुख स्थान रखता है। इस मंदिर में देवी काली का प्रचण्ड और जाग्रत रूप प्रतिष्ठित है, और यहाँ की गई पूजा को शीघ्र फल देने वाली और अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त इस पावन रात्रि में माँ काली और भगवान काल भैरव का स्मरण और पूजन करता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। माँ की कृपा से जीवन से अंधकार, डर और तमस दूर होता है, और शुभता, आत्मविश्वास और उन्नति का प्रकाश फैलता है।
इस कालाष्टमी, श्री कालीघाट मंदिर के माध्यम से इस दुर्लभ और दिव्य अनुष्ठान में सहभागी बनें और माँ काली की कृपा से अपने जीवन को भय, संकट, शत्रुता और तमस से मुक्त करें। यह वो रात हो सकती है जब आपके जीवन में शक्ति, शांति और सफलता का नया अध्याय शुरू हो।