कभी-कभी परिवार में अचानक झगड़े बढ़ जाते हैं, काम रुकने लगते हैं और मन में बिना कारण डर या बेचैनी बैठ जाती है। शास्त्रों के अनुसार, ऐसी स्थिति अक्सर कालसर्प दोष की ओर संकेत करती है, जहाँ राहु और केतु की छाया ऊर्जा इंसान के अच्छे कर्मों के फल को रोक देती है। इस दोष के प्रभाव में मन को शांति मिलना कठिन हो जाता है। लेकिन इसका समाधान संभव है। भगवान शिव, जो समय और भाग्य के स्वामी हैं, इन छाया ग्रहों को शांत करने की सर्वोच्च शक्ति रखते हैं।
🔱 महादेव कालसर्प दोष से कैसे रक्षा करते हैं?
हिंदू परंपरा में बताया गया है कि नागों के राजा वासुकी भगवान शिव के गले में सुशोभित रहते हैं। इसका अर्थ है कि शिव तत्व उस सर्प शक्ति और समय के बंधन से भी ऊपर है, जो हमें रोकता या डराता है। राहु (सर्प का सिर) और केतु (सर्प की पूंछ) द्वारा उत्पन्न बाधाएँ, शिव की शरण में जाकर शांत हो सकती हैं।
इसलिए, श्रद्धा से शिव की उपासना करना इस दोष को दूर करने का सबसे प्रभावी उपाय माना जाता है।
त्रयोदशी तिथि पर राहु पैठाणी मंदिर में किया जाने वाला कालसर्प दोष शांति पूजन महादेव की इस मुक्तिदायक शक्ति से जुड़ने का विशेष माध्यम है। इस अनुष्ठान में ग्रहों को शांत करने वाली विशेष प्रार्थना और आहुतियाँ दी जाती हैं, ताकि सर्प दोष का प्रभाव शांत हो सके। यह पूजा भय को विश्वास में बदलने, मानसिक तनाव कम करने और जीवन में शांति लाने के लिए की जाती है।
🔱 श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा में भाग लेना, जीवन में साहस, शांति और सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त करने का मार्ग माना गया है। 🔱