🐍नागों के देवता तक्षकराज को राहु की तेज़ और बदलती ऊर्जा से जुड़ा माना जाता है। जब जन्मपत्रिका में राहु और केतु के बीच सभी ग्रह आ जाते हैं, तो इसे काल सर्प दोष कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस स्थिति में जीवन में अचानक उतार–चढ़ाव, अनचाही रुकावटें, मन का भारीपन और दिशा को लेकर उलझन ज़्यादा महसूस हो सकती है। तक्षकराज का उल्लेख इसलिए किया जाता है क्योंकि नाग-ऊर्जा परिवर्तन, अंदर छिपे डर को पहचानने और पुराने मानसिक बोझ को छोड़ने की प्रक्रिया से जुड़ी मानी जाती है।
💭 राहु का स्वाति नक्षत्र में प्रवेश भी इस अवधि को और संवेदनशील बना देता है। स्वाति नक्षत्र स्वयं हवा की गति और परिवर्तनशीलता का प्रतीक माना जाता है। इसलिए राहु की उपस्थिति इसमें विचारों, भावनाओं और फैसलों पर असर डाल सकती है। 15 दिसंबर 2025 को सुबह 11:09 बजे से शुरू होने वाला राहु–स्वाति काल कई लोगों के लिए ऐसा समय माना जा रहा है, जब परिस्थितियों में तेज़ बदलाव और मन के स्तर पर अधिक अस्थिरता महसूस हो सकती है।
🕉️यह सब काल सर्प दोष से जुड़ी परेशानियाँ केवल ग्रहों का परिणाम नहीं मानी जातीं, बल्कि वे मन में जमा हुए पुराने डर, असुरक्षाओं और अनसुलझे अनुभवों से भी संबंधित समझी जाती हैं। तक्षकराज की ऊर्जा को इन गहराई वाली भावनाओं को समझने और उनमें धीरे-धीरे स्पष्टता लाने का प्रतीक माना जाता है। यही कारण है कि राहु काल के दौरान तक्षकराज से जुड़ी साधनाओं का विशेष महत्व बताया जाता है।
🛕 यह विशेष आयोजन प्रयागराज के श्री तक्षकेश्वर तीर्थ मंदिर में किया जाएगा। यह स्थल तक्षकराज और राहु ऊर्जा से गहराई से जुड़ा माना जाता है। यहाँ का शांत, साधनात्मक वातावरण मन को स्थिर करने, विचारों को सन्तुलित करने और भीतर की उलझनों को समझने में सहायक माना जाता है।
🙏 यदि आप उपरोक्त परेशानियों से जूझ रहे हैं और राहु–काल या काल सर्प दोष से जुड़े अनुभवों को समझने के लिए इस आयोजन में सम्मिलित होना चाहते हैं, तो श्री मंदिर के माध्यम से इसमें भाग लेकर अपने मन में शांति और स्पष्टता की भावना विकसित करने की कामना कर सकते हैं।🙏