🌕 हिंदू धर्म में प्रत्येक माह की शुक्ल पक्ष अष्टमी को मासिक दुर्गाष्टमी के रूप में बड़े आदर और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह तिथि देवी दुर्गा और उनके नवदुर्गा स्वरूपों को समर्पित होती है। लेकिन इस बार की दुर्गाष्टमी विशेष मानी जा रही है, क्योंकि यह साल 2025 की अंतिम दुर्गाष्टमी है। ऐसा माना जाता है कि वर्षभर की भक्ति और साधना इसी पावन दिन पर फलित होकर जीवन में एक विशेष दिव्य संरक्षण प्रदान करती है। यही कारण है कि यह दिन माँ बगलामुखी, भगवान काल भैरव और संकटमोचन हनुमान की संयुक्त आराधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इन तीनों शक्तियों की साधना से नकारात्मक ऊर्जा, बाधाएं और शत्रुजनित संकट दूर होते हैं।
🛡️ माँ बगलामुखी का स्वरूप रक्षा, विजय और शत्रुनाश का प्रतीक है। दस महाविद्याओं में आठवीं मानी जाने वाली यह देवी वाणी, बुद्धि और परिस्थितियों को नियंत्रण में लाने की शक्ति देती हैं। यह धारणा है कि भगवान श्रीराम और पांडवों ने भी विजय प्राप्ति हेतु उनकी आराधना की थी। उनकी कृपा से छिपी बाधाएं शांत होती हैं और मन में साहस तथा स्थिरता आती है।
🕯️ भगवान काल भैरव को भय, अनिश्चितता और अदृश्य संकटों का नाश करने वाला कहा गया है। उनकी पूजा से सुरक्षा, आत्मबल और मानसिक स्पष्टता बढ़ती है। जीवन में जो अवरोध दिखाई नहीं देते, वे भी शांत होने लगते हैं और मार्ग सुगम महसूस होता है। वहीं संकटमोचन हनुमान जी हर प्रकार की पीड़ा, बाधा और संकट से रक्षा करने वाले देव माने जाते हैं। जब लक्ष्मण मूर्छित हुए थे, तब संजीवनी लाकर उन्होंने उन्हें नया जीवन दिया। रावण द्वारा भेजे गए कालनेमि को पराजित कर उन्होंने “संकटमोचन” की प्रतिष्ठा प्राप्त की। उनकी कृपा से शारीरिक, मानसिक और शत्रुजनित सभी प्रकार की अड़चनें दूर होती हैं।
🏞️ इसीलिए वर्ष 2025 की इस अंतिम दुर्गाष्टमी पर काशी के श्री काल भैरव मंदिर और हरिद्वार सिद्धपीठ मां बगलामुखी मंदिर में श्री मंदिर द्वारा विशेष महायज्ञ और पूजन का आयोजन किया जा रहा है। माँ बगलामुखी की पूजासिद्धपीठ मां बगलामुखी मंदिर में और काल भैरव व हनुमान जी की सर्व कष्ट निवारण पूजा काल भैरव मंदिर में संपन्न की जाएगी। यह दिव्य अनुष्ठान वर्षभर की नकारात्मकता का नाश कर जीवन में एक मजबूत रक्षण कवच प्रदान करेगा। आप भी इस विशेष महायज्ञ में भाग लकर त्रिदेवों की कृपा प्राप्त करें।