पौष कृष्ण एकादशी वैष्णव परंपरा में अत्यंत पावन मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन श्रीकृष्ण की उपासना मन को शांत करती है, भक्ति को गहराई देती है और जीवन में जमा हुए कर्मों की भारीपन को हल्का करने में सहायक होती है। इसी भावना से श्री मंदिर द्वारा एक विशेष इस्कॉन कृष्ण सेवा का आयोजन हो रहा है, जिसमें भक्ति, भोग और सेवा तीनों का सुंदर संयोजन शामिल है।
इस सेवा में सबसे पहले कृष्ण श्रृंगार किया जाता है, जहाँ इस्कॉन परंपरा के अनुसार भगवान का मनोहर अलंकरण किया जाता है। इसके बाद छप्पन भोग अर्पित होता है, जिसमें मिठाइयाँ, फल, दुग्ध-व्यंजन और सात्त्विक पकवान प्रेमपूर्वक समर्पित किए जाते हैं। यह समर्पण भक्तों की आंतरिक श्रद्धा और कृतज्ञता का प्रतीक माना जाता है। इसके साथ 21 ब्राह्मण अन्न सेवा भी की जाती है, जिसे एकादशी के दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है और माना जाता है कि यह सेवा जीवन में सकारात्मकता बढ़ाने में सहायक होती है।
एकादशी को वैष्णव परंपरा में श्रीकृष्ण की कृपा का दिन समझा गया है। इसी कारण इस्कॉन मंदिरों में इस दिन की सेवा को विशेष स्थान दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि आज के दिन अर्पित भोग अधिक पुनीत माना जाता है और श्रृंगार व भोग सेवा मन और भावनाओं को शुद्ध करने में सहायता करती है। ब्राह्मण भोजन को भी इस दिन शुभ कार्यों में शामिल किया गया है, क्योंकि इसे सद्भावना और आंतरिक शुद्धि का माध्यम माना जाता है।
कृष्ण भक्तों के लिए भोजन अर्पित करना भक्ति की सरल लेकिन अत्यंत हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति माना जाता है। छप्पन भोग सेवा इसी भावना को दर्शाती है और भक्तों के भीतर शांत, संतुलित और सकारात्मक भावों को बढ़ाने में सहायक समझी जाती है। इसी के साथ ब्राह्मण अन्न सेवा को भी घर और जीवन में शुभ ऊर्जा का वाहक माना गया है।
श्री मंदिर द्वारा आयोजित इस्कॉन कृष्ण सेवा एकादशी विशेष में श्रद्धापूर्वक भाग लेकर साधक भक्ति और शांति का अनुभव प्राप्त करते हैं। इस सेवा में कृष्ण श्रृंगार, छप्पन भोग और इक्कीस ब्राह्मण अन्न सेवा सम्मिलित हैं, जिन्हें भक्तिभाव से किया गया प्रयास माना जाता है। यह एकादशी उन साधकों के लिए उपयुक्त अवसर है जो अपने जीवन में भक्ति, संतुलन और आंतरिक शुद्धता की दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं।