सनातन धर्म के अनुसार मंगलवार भगवान हनुमान का दिन होता है, जबकि अमावस्या शनिदेव की उपासना के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। जब ये दोनों शक्तिशाली तिथियाँ एक साथ आती हैं, तो यह समय व्यक्ति के जीवन से अदृश्य भय, कर्मजनित पीड़ा और मानसिक अशांति को दूर करने के लिए बहुत प्रभावशाली माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि इस दिन श्रद्धा से हनुमान जी और शनिदेव की पूजा करने से नकारात्मकता, रुकावटें और दुर्भाग्य स्वयं समाप्त हो जाते हैं। यह दिन साहस, अनुशासन और आत्मबल को बढ़ाने का श्रेष्ठ अवसर होता है।
📿हनुमान और शनिदेव की संयुक्त साधना इतनी प्रभावशाली क्यों मानी जाती है?
शास्त्रों के अनुसार त्रेतायुग में जब शनिदेव रावण की कैद में थे, तब हनुमान जी ने उन्हें मुक्त कराया था। इस उपकार के बदले शनिदेव ने आशीर्वाद दिया कि जो व्यक्ति हनुमान जी की भक्ति करेगा, उस पर शनि के कष्ट कभी प्रभाव नहीं डालेंगे। इसलिए हनुमान और शनिदेव की एक साथ उपासना करने से जीवन की बाधाओं, भय और संघर्षों को दूर करने की शक्ति मिलती है। विशेषकर जब मंगलवार और अमावस्या का संयोग बनता है, तब इस संयुक्त आहवान का प्रभाव कई गुना बढ़ सकता है। इसीलिए इस शुभ अवसर पर श्री मंदिर द्वारा विशेष संयुक्त अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें दो प्रमुख विधियाँ सम्मिलित हैं –
🔸 श्री हनुमान गढ़ी मंदिर में सिंदूर-चंदन अभिषेक व 11,000 हनुमान मूल मंत्र जाप
🔸 श्री नवग्रह मंदिर, शनिदेव धाम में तिल तेल से शनिदेव का विशेष अभिषेक
✨ क्यों चढ़ाया जाता है हनुमान जी को सिंदूर और शनिदेव को तिल का तेल?
कथा के अनुसार, जब हनुमान जी ने माता सीता को सिंदूर लगाते देखा, तो कारण पूछने पर उन्होंने बताया कि यह श्रीराम की दीर्घायु और सुख-शांति के लिए है। यह सुनकर हनुमान जी ने पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लिया ताकि प्रभु श्रीराम उनसे और प्रसन्न हों। तभी से हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई। मंगलवार के दिन सिंदूर अर्पित करने से भय, रोग और बाधाएँ समाप्त होती हैं। वहीं शनिदेव को तिल के तेल से अभिषेक करने से उनका क्रोध शांत होता है और जीवन से कर्मजनित कठिनाइयाँ दूर होती हैं।
तो देर न करें श्री मंदिर के माध्यम से इस पावन अवसर पर आयोजित विशेष पूजा में भाग लेकर भगवान हनुमान और शनिदेव की संयुक्त कृपा प्राप्त करें और अपने जीवन से सभी बाधाओं को दूर करें। 🔱