ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी नौ ग्रहों का विशेष महत्व है। यह ग्रह अपनी-अपनी दशानुसार शुभ और अशुभ फल देते हैं। कभी-कभी दो ग्रह एक ही भाव में स्थित होकर युति का निर्माण करते हैं। यदि किसी जातक की कुंडली में दो विपरीत प्रवृत्तियों के ग्रह युति का निर्माण करते हैं तो यह योग जातक के लिए विनाशकारी साबित होता है। ज्योतिषियों की मानें तो राहु एवं गुरु बृहस्पति ग्रह भी प्रवृत्ति में एक-दूसरे के विपरीत है और इनकी युति से बनने वाले योग को गुरु चांडाल योग कहते हैं। जहां राहु को मर्यादा और नियम के विरुद्ध काम करवाने वाला ग्रह कहा गया है। वहीं देवताओं के "गुरु" के रूप में पूजित गुरु यानि बृहस्पति को ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। ज्योतिष विद्या में इस योग को बहुत ही अशुभ योग माना गया है क्योंकि इस अशुभ योग के बनने से कुंडली में मौजूद शुभ योग भी नष्ट हो जाते हैं और जीवन में परेशानियों का सिलसिला शुरू हो जाता है जैसे, स्वास्थ्य, करियर, वैवाहिक और आर्थिक से जुड़ी समस्याएं आदि। ज्योतिष शास्त्र में इस योग से राहत पाने के लिए गुरुवार के दिन गुरु चांडाल दोष निवारण महापूजा को लाभकारी बताया गया है।
मान्यता है भगवान शिव की उपासना से राहु के नकारात्मक प्रभाव से बचा जा सकता है, क्योंकि राहु भगवान शिव के भक्त हैं। वहीं काशी में स्थित श्री बृहस्पति मंदिर का भी विशेष धार्मिक महत्व है। ऐसा माना जाता है कि बृहस्पति देव ने इस स्थान पर भगवान शिव की पूजा की थी। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर, भगवान शिव ने उन्हें देवगुरु बृहस्पति (देवों के गुरु) की उपाधि दी और उन्हें नवग्रह (नौ ग्रहों) में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया। तब से, देवगुरु बृहस्पति इस मंदिर में मौजूद हैं। शास्त्रों की मानें तो गुरुवार का दिन गुरु देव बृहस्पति का दिन होता है। ऐसे में इस दिन पूजा करने से जीवन में गुरु से जुड़े नकारात्मक प्रभाव को भी कम किया जा सकता है। इसलिए गुरुवार के दिन काशी में विराजित श्री बृहस्पति मंदिर में गुरु चांडाल दोष निवारण महापूजा का आयोजन किया जा रहा है। श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा में भाग लें और भौतिक सुख एवं समृद्धि का दिव्य आशीष प्राप्त करें।