🔱 सनातन में गौरी-शिव पूजा रिश्तों में सुख, समृद्धि और सामंजस्य लाने के लिए बेहद फलदायी मानी गई है। इस पूजा के माध्यम से भगवान शिव और माता गौरी की कृपा प्राप्त हो सकती है, जो पार्टनर के साथ समझ, प्रेम और एकता को बढ़ाती है। यह पूजा खास तौर पर वैवाहिक जीवन में तनाव और संघर्ष को कम करने के लिए जानी जाती है। श्रद्धालु शिव पार्वती विवाह पूजन और अर्धनारीश्वर अभिषेक के दौरान विशेष रूप से अपनी कठिनाइयों के निवारण और रिश्तों में पहले जैसी मिठास की कामना करते हैं। इस पूजा में जब अर्धनारीश्वर अभिषेक की शक्ति जुड़ती है तो महत्व कई गुना बढ़ जाता है। इस सोमवार अपने रिश्तों को मजबूती और मधुरता देने का सुनहरा अवसर है, जिसे हाथ से न जाने दें।
🔱 काशी में शिव उपासना का विशेष महत्व
काशी, जो स्वयं भगवान शिव की प्रिय नगरी है, शिव उपासना के लिए सर्वोच्च स्थान मानी जाती है। शास्त्रों के अनुसार यहां किए गए हर अनुष्ठान का प्रभाव सौ गुना अधिक फलदायी होता है। मान्यता के अनुसार, काशी को भगवान शिव ने अपने त्रिशूल पर धारण किया हुआ है और यहाँ के कण-कण में शिव विराजमान हैं। वहीं काशी में शिव‑पार्वती पूजन का महत्व इसलिए भी विशेष है, क्योंकि यह स्थान स्वयं भगवान शिव की उपस्थिति और शक्ति से प्रेरित है। यहाँ शिव‑शक्ति के दिव्य मिलन की कथा और अर्धनारीश्वर रूप की पूजा विशेष पुण्यदायक मानी जाती है। काशी स्थित श्री गौरी-केदारेश्वर महादेव मंदिर में अर्धनारीश्वर शिवलिंग स्वयंभू स्वरूप में है। मंदिर परिसर का गौरी कुंड वह स्थान है, जहाँ मां पार्वती ने तपस्या की थी।
सोमवार को विशेष अनुष्ठान का आयोजन:
🔸 शिव‑पार्वती विवाह पूजन: शिव और पार्वती के दिव्य विवाह का प्रतीकात्मक आयोजन, जिसमें श्रृंगार सामग्री, कन्यादान संकल्प और मंडप कलश स्थापना की जाती है। विशेष रूप से विवाहित जोड़ों या विवाह की इच्छा रखने वालों के लिए पूजा फलदायी मानी जाती है।
🔸 अर्धनारीश्वर अभिषेक: दूध, शहद, बेलपत्र, घी और चंदन से अर्धनारीश्वर स्वरूप का अभिषेक, भगवान शिव और शक्ति के एकत्व, संतुलन और दिव्य समरसता का प्रतीक है।
जो लोग विवाह में विलंब, वैवाहिक जीवन में कलह या संबंधों में रोज-रोज की बहस का सामना कर रहे हैं, उन्हें विद्वान इस अनुष्ठान में भाग लेने की सलाह देते हैं। यहाँ किया गया पूजन, प्रेम, समझदारी और स्थायित्व के भाव को मज़बूत करने में सहायक हो सकता है।
🌸 आप भी इस सोमवार श्री मंदिर द्वारा आयोजित पूजा में भाग लेकर शिव‑शक्ति के दिव्य मिलन स्थल की ऊर्जा से अपने जीवन में प्रेम और सामंजस्य का अनुभव कर सकते हैं