🕉️ जब जीवन में परेशानियाँ घेर लेती हैं या हमारी कोशिशों का फल नहीं दिखता तो अक्सर भीतर एक आध्यात्मिक रुकावट महसूस होती है। शास्त्रों के अनुसार, चातुर्मास के चार महीनों में भगवान श्री विष्णु योगनिद्रा (दिव्य निद्रा) में रहते हैं। इस अवधि में कई शुभ कार्य, नए आरंभ और मांगलिक क्रियाएँ रोक दी जाती हैं। इसी कारण जीवन में कुछ समय के लिए ठहराव या आर्थिक प्रवाह में मंदी महसूस हो सकती है।
देवउठनी एकादशी वह दिन है जब विष्णु भगवान जागृत होते हैं, और इसी क्षण से सृष्टि में फिर से नई ऊर्जा, नए अवसर और नए आरंभ की शक्ति प्रवाहित होती है। यह पवित्र तिथि भगवान श्री विष्णु से समृद्धि और निर्बाध सफलता की कामना करने का श्रेष्ठ समय है।
🕉️ पवित्र ग्रंथों में चातुर्मास व्रत की कथा वर्णित है। जब देवउठनी एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु जागते हैं, तो देवलोक में आनंद छा जाता है। ऐसा माना जाता है कि सभी देवशक्तियाँ स्वयं भगवान की सेवा में उपस्थित होती हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि अब सफलता के मार्ग के द्वार खुल चुके हैं। इस दिन किए गए हर सेवा-पुण्य का फल हज़ार गुना बढ़कर मिलता है। इस तिथि की पवित्र ऊर्जा जीवन के बाधाओं को दूर करने और इच्छाओं को पूर्ण करने वाली मानी गई है। इसलिए यह दिन नए कार्य शुरू करने के लिए सर्वोत्तम है।
🕉️ 1008 कमल अर्चना में भगवान विष्णु की सहचरी माँ लक्ष्मी का पूजन किया जाता है, जो सदा कमल पर विराजमान रहती हैं। यह अनुष्ठान आपके जीवन में धन, सौभाग्य और स्थिरता को आमंत्रित करता है। साथ ही, विष्णु सहस्रनाम (भगवान के 1000 नामों) का जप, भगवान की पूर्ण कृपा और जीवन के हर कार्य में रक्षा और सफलता प्रदान करने वाला माना गया है। इन दोनों का देवउठनी एकादशी पर संगम अत्यंत शुभ है।
✨ श्री मंदिर द्वारा आयोजित यह विशेष पूजा आपके जीवन में सफलता, नए अवसर और समृद्धि के द्वार खोलने का माध्यम मानी गई है।