🔱 नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी और शनि पीड़ा अनुष्ठान से संघर्ष और रुकी हुई प्रगति से मुक्ति
✨ जब कोई वैष्णो देवी धाम कटरा का नाम सुनता है तो सबसे पहले माँ का बुलावा और ऊँचे पहाड़ों पर स्थित उनका भव्य दरबार मन में उभर आता है। इन्हीं पहाड़ियों की तलहटी में एक और अद्भुत मंदिर है – नव दुर्गा मंदिर, यह मंदिर विशेष है क्योंकि यहाँ माँ दुर्गा के नौ रूप, माँ शैलपुत्री से लेकर माँ सिद्धिदात्री तक, एक ही स्थान पर विराजमान हैं। नवरात्रि के दिनों में यहाँ किए गए पूजा-पाठ और अनुष्ठान का फल कई गुना बढ़ जाता है। इसी मंगलवार, नवरात्रि के दूसरे दिन, यहीं माँ ब्रह्मचारिणी की विशेष पूजा और शनि पीड़ा निवारण अनुष्ठान संपन्न होगा, जिसे साल के सबसे महत्वपूर्ण आध्यात्मिक अवसरों में माना जाता है।
🔱 हिंदू परंपरा में नवरात्रि का दूसरा दिन माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना के लिए समर्पित है। माँ का यह स्वरूप तपस्या, संयम और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। इस दिन भक्त दीप प्रज्वलन, पुष्प, धूप और नैवेद्य अर्पित कर उनकी आराधना करते हैं। मान्यता है कि माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना से मनुष्य को आंतरिक शक्ति, धैर्य, विद्या और सही मार्ग पर चलने का संबल मिलता है। ज्योतिष में माँ ब्रह्मचारिणी का संबंध शनि देव से माना जाता है, जो कर्म, अनुशासन और धैर्य के देवता हैं। माँ का तप और शनि का अनुशासन एक-दूसरे को पूर्ण करते हैं। इसलिए, इस दिन का अनुष्ठान शनि संबंधी कष्टों से मुक्ति दिलाकर, रुके हुए कार्यों को गति प्रदान करता है और करियर में उन्नति का मार्ग खोलता है।
🔱 माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा के साथ ही इस दिन नवग्रह शांति यज्ञ का भी विशेष महत्व है। इस यज्ञ में विद्वान आचार्य सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु इन सभी नौ ग्रहों के लिए वैदिक मंत्रोच्चारण और हवन करते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह यज्ञ ग्रहों की अशुभता को शांत करता है, नकारात्मक प्रभावों को कम करके कार्यों में तेजी लाने में मदद कर सकता है, खासकर नौकरी और करियर से जुड़े मामलों में।
🙏 श्री मंदिर द्वारा आयोजित ब्रह्मचारिणी शनि दोष शुद्धि और नवग्रह शांति यज्ञ में सम्मिलित होकर भक्त माँ ब्रह्मचारिणी और नवग्रहों का संयुक्त आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, जिससे जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है और नए अवसरों के द्वार खुलते हैं।