🛕 दर्श अमावस्या पर शक्ति-समृद्धि पंच महाविद्या महा हवन अनुष्ठान क्यों करें? 🛕
दर्श अमावस्या, अमावस्या की रात का समय होता है, जिसे अंधकार और गहरी ऊर्जा का समय माना जाता है। इस समय आध्यात्मिक जगत, हमारे द्वारा किए गए आह्वान के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील और ग्रहणशील होता है। हिंदू परंपरा में, अमावस्या को ऐसा समय माना जाता है जब नकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक रुकावटें बढ़ जाती हैं, जिससे जीवन में कठिनाइयाँ आ सकती हैं। चंद्रमा का न दिखना, जीवन में स्पष्टता की कमी का संकेत देता है। इसी समय हम मानसिक भ्रम, भावनात्मक अस्थिरता और पुराने कर्मों के बोझ को अधिक महसूस करते हैं। इसी कारण शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर में दर्श अमावस्या पर पंच महाविद्या अनुष्ठान को बहुत खास माना जाता है। इसमें माँ काली, माँ तारा, माँ षोडशी, माँ भुवनेश्वरी और माँ बगलामुखी की पूजा की जाती है, जिससे भक्त नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षित रह सकते हैं, मन के संघर्ष दूर कर सकते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि व शांति ला सकते हैं।
माँ बगलामुखी – रक्षा और विजय की देवी, जो हमें आध्यात्मिक हानि से बचाती हैं, शत्रुओं पर विजय दिलाती हैं और नकारात्मक ऊर्जाओं को रोकती हैं।
माँ काली – विनाश और परिवर्तन की देवी, जो बाधाओं को दूर करती हैं, मन को शुद्ध करती हैं और जीवन से अंधकार हटाती हैं।
माँ तारा – मार्गदर्शन और करुणा की देवी, जो कठिन समय में राह दिखाती हैं और ज्ञान व स्पष्टता प्रदान करती हैं।
माँ षोडशी – सौंदर्य, संतुलन और पूर्णता की देवी, जो जीवन में सामंजस्य, शांति और आकर्षण लाती हैं।
माँ भुवनेश्वरी – सृजन और समृद्धि की देवी, जिनका आशीर्वाद विकास और प्रगति का मार्ग प्रकाशित करता है।
महाविद्याएँ देवी दुर्गा के विभिन्न रूप हैं, जो दिव्य स्त्री शक्ति के अलग-अलग पहलुओं को दर्शाती हैं। ये शक्तियाँ सुरक्षा, परिवर्तन और आध्यात्मिक प्रगति से जुड़ी होती हैं। अमावस्या के समय इनका प्रभाव और भी बढ़ जाता है, क्योंकि माना जाता है कि इस समय अंधकारमय ऊर्जाएँ सबसे ज्यादा सक्रिय होती हैं। सभी महाविद्याएँ मिलकर भक्त को दिव्य सुरक्षा, मानसिक उपचार और जीवन में संतुलन प्रदान करती हैं।
श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा में शामिल हों और पाँच महाविद्याओं के शक्तिशाली आशीर्वाद प्राप्त करें। उनकी कृपा से आप नकारात्मकता से मुक्त होकर, सुख-समृद्धि और सद्भाव से भरे जीवन की ओर बढ़ सकेंगे। 🙏😇