🌕 सावन पूर्णिमा पर चंद्र–शनि गोचर के दुर्लभ संयोग में शिव आराधना और विशेष अनुष्ठान की मदद से ग्रहों के द्वंद्व से राहत और मानसिक शांति का मार्ग खुल सकता है।
सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति के लिए सबसे पवित्र माना जाता है। यह महीना एक खास ऊर्जा लेकर आता है, जब दिल से की गई प्रार्थना, जाप और साधना गहराई से असर करती है।
सावन की पूर्णिमा, यानी आखिरी सोमवार के बाद आने वाली पूर्ण तिथि, और भी अधिक शुभ मानी जाती है। इस दिन की भक्ति को शिव तक पहुँचने का सरल मार्ग माना गया है। इस बार की सावन पूर्णिमा पर ग्रहों की स्थिति खास है। शनि वक्री होकर मीन राशि में मंगल के साथ स्थित हैं, जबकि चंद्रमा शनि की मकर राशि में रहकर देर रात कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। चंद्रमा और शनि के बीच शत्रुता मानी जाती है, और इस दुर्लभ योग का असर कई राशियों पर गहरा हो सकता है।
यह योग कुछ लोगों के लिए ध्यान, आत्मनिरीक्षण और स्थिरता का अवसर ला सकता है, वहीं मिथुन, कर्क और मीन राशियों के लिए यह गोचर मानसिक तनाव, पारिवारिक उलझनों, स्वास्थ्य समस्याओं और आर्थिक नुकसान का कारण बन सकता है। नौकरी और व्यापार में भी अचानक रुकावटें आ सकती हैं। ज्योतिष के अनुसार, जब चंद्रमा और शनि जैसे ग्रह आमने-सामने आते हैं, तो उनके प्रभाव को शांत करने के लिए भगवान शिव की आराधना सबसे असरदार उपाय मानी जाती है। चंद्रमा मन का प्रतीक है और शनि कर्मफल देने वाला ग्रह और दोनों ही भगवान शिव को अत्यंत प्रिय हैं।
इसीलिए, इस दुर्लभ संयोग में, श्री मंदिर द्वारा एक विशेष सेवा का आयोजन किया जा रहा है, ताकि शिव कृपा से जीवन की उथल-पुथल को शांति और संतुलन में बदला जा सके:
🔹 11000 चंद्र मूल मंत्र जाप और रुद्राभिषेक – यह पूजा ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पर संपन्न होगी। यह सेवा उन लोगों के लिए उपयोगी है जो तनाव, बेचैनी, असमंजस और भावनात्मक अस्थिरता का सामना कर रहे हैं।
🔹 23000 शनि मूल मंत्र जाप – यह शनि नवग्रह मंदिर में होगा। इसका उद्देश्य उन पुराने कर्मों के प्रभाव को हल्का करना है जो जीवन की गति और मानसिक शांति में बाधा बनते हैं।
आप भी इस शुभ अवसर पर श्री मंदिर के माध्यम से जुड़ सकते हैं। आप भी इस पावन अवसर पर, श्री मंदिर के माध्यम से, इस सेवा में जुड़ सकते हैं। यह पूजा उन सभी के लिए है जो जीवन की दौड़ में थोड़ी राहत, थोड़ी सच्ची शांति और एक भीतर से जुड़ी हुई प्रार्थना करना चाहते हैं।