क्या आपको लगता है कि आपके करियर या जीवन में प्रयासों के बावजूद स्थिरता नहीं आ रही है? क्या आपकी कुंडली में राहु और बृहस्पति की युति (गुरु चांडाल दोष) है? ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि जब राहु और बृहस्पति साथ आते हैं, तो यह दोष जीवन में रुकावटें, निर्णय में कठिनाई और मानसिक अस्थिरता ला सकता है। राहु ग्रह करियर, महत्वाकांक्षा और सामाजिक प्रतिष्ठा को प्रभावित करता है, जबकि बृहस्पति देव ज्ञान, मार्गदर्शन और समृद्धि का स्रोत माने जाते हैं। इस अशुभ युति के प्रभाव से व्यक्ति बार-बार कठिन परिस्थितियों का सामना कर सकता है और जीवन में स्थिरता बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। साल 2025 की आखिरी कालाष्टमी गुरु-चांडाल दोष निवारण के लिए अत्यंत शुभ मानी गई है। इस दिन बृहस्पति की दिव्य आराधना से ग्रहों के अशुभ संयोजन, विशेषकर गुरु-चांडाल दोष से उत्पन्न रुकावटें शांत हो सकती हैं और जीवन में स्थिरता और समृद्धि के बंद दरवाजे खुल सकते हैं।
मान्यतानुसार कालाष्टमी के पावन अवसर पर जयपुर के श्री बृहस्पति धाम में किया गया गुरु–चांडाल दोष निवारण अनुष्ठान इस दोष के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में विशेष प्रभावशाली है। यहाँ की दिव्य ऊर्जा, पूजा के प्रभाव को और बढ़ा देती है। इस अनुष्ठान के माध्यम से राहु का नकारात्मक प्रभाव शांत होता है और बृहस्पति की कृपा जीवन में स्थिरता, स्पष्टता और सफलता का मार्ग खोलती है।
इस पूजा से व्यक्ति के जीवन में करियर में स्थिरता, निर्णय में स्पष्टता, मानसिक संतुलन और दीर्घकालिक सफलता का अनुभव हो सकता है। यह अनुष्ठान न केवल जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है, बल्कि आत्मविश्वास और संतोष भी बढ़ाता है। कहते हैं कि बृहस्पति धाम में महापूजा और हवन से जीवन में रुके कार्य रफ्तार पकड़ते हैं। साल 2025 की आखिरी कालाष्टमी एक सुनहरा अवसर है, जब आप अपने और परिवार के लिए गुरु-चांडाल दोषों से राहत और जीवन-करियर में उन्नति के द्वार खोल सकते हैं।
✨ श्री मंदिर के माध्यम से इस दिव्य अनुष्ठान में भाग लेकर आप गुरु–चांडाल दोष के नकारात्मक प्रभावों को कम कर सकते हैं और अपने करियर एवं जीवन में स्थिरता, बुद्धिमत्ता और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव कर सकते हैं।