💰✨ आपकी समृद्धि का मार्ग कहीं थम सा गया है? जानें क्यों बृहस्पति-राहु युति (गुरु चांडाल दोष) को माना जाता है अशुभ? 🔮✨
📜 ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, राहु-गुरु की युति से बनने वाले योग को गुरु चांडाल योग कहा जाता है। इसे बहुत ही अशुभ योग माना गया है क्योंकि इस अशुभ योग के बनने से कुंडली में मौजूद शुभ योग भी नष्ट हो जाते हैं, जिससे जीवन में परेशानियों का सिलसिला शुरू हो जाता है। शास्त्रों में राहु को एक प्रभावशाली ग्रह माना गया है, जो व्यक्ति के जीवन पर गहरा असर डाल सकता है। इसे आमतौर पर अशुभ परिणामों का कारक माना जाता है, क्योंकि यह समृद्धि और भौतिक कल्याण में बाधा उत्पन्न करता है और सामाजिक कलंक जैसी समस्याएं भी ला सकता है। इसलिए साल 2025 के आखिरी गुरुवार और राहु शासित नक्षत्र शतभिषा के दिव्य काल में 18,000 राहु मूल मंत्र जाप, 16,000 बृहस्पति मूल मंत्र साधना होने जा रही है, जो अपने आप में स्वर्णिम अवसर है।
📜 ऐसा माना जाता है कि राहु और बृहस्पति की युति से उत्पन्न प्रभाव को कम करने के लिए राजस्थान के जयपुर में श्री बृहस्पति धाम एक अत्यंत प्रभावशाली स्थान है। जब इस साधना में राहु नक्षत्र शतभिषा काल में 18 हजार राहु मूल मंत्र जाप किए जाते हैं तो इस अनुष्ठान का फल कई गुना माना गया है। मान्यता है कि राहु के अशुभ परिणाम इस साधना से सफलता और उन्नति में बदल सकते हैं। दो ग्रहों से शुभ फल पाने के लिए यह साल 2025 का आखिरी और सबसे बड़ा अवसर है, जिसे हाथ से न जाने दें।
📜 एक पौराणिक कथा है, जिसमें बताया गया है कि समुद्र मंथन के दौरान स्वरभानु ने देवताओं का रूप धारण करके अमृत पीने का प्रयास किया। लेकिन भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। स्वरभानु का सिर राहु और धड़ केतु के रूप में जीवित रह गया। मान्यता के अनुसार, स्वरभानु का सिर जहां गिरा, वहीं यह मंदिर स्थापित हुआ। माना जाता है कि भगवान विष्णु अर्थात बृहस्पति, ग्रहों में सर्वश्रेष्ठ हैं, अर्थात उन्हें ग्रहों के गुरु बृहस्पति के रूप में माना गया है। भगवान विष्णु को ही बृहस्पति देव का अवतार भी माना जाता है, इसलिए यहां पूजा करने से राहु के साथ बृहस्पति के अशुभ प्रभाव को भी कम किया जा सकता है। मान्यता है कि 18,000 राहु मूल मंत्र जाप, 16,000 बृहस्पति मूल मंत्र जाप और हवन के माध्यम से समृद्धि और भौतिक कल्याण का आशीष प्राप्त किया जा सकता है।
🌿तो देर न करें… श्री मंदिर के माध्यम से इस अनुष्ठान में भाग लें और राहु-गुरु के नकारात्मक प्रभावों से राहत का दिव्य आशीष पाएं।