🛕 जब किसी व्यक्ति को बार-बार रिश्ते टूटने, उपयुक्त जीवनसाथी न मिलने या तय हुई शादी टलते रहने जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है, तो ज्योतिष में इसे देवगुरु बृहस्पति यानी गुरुग्रह की अशुभ स्थिति या कमजोर प्रभाव का संकेत माना जाता है। बृहस्पति देव जो बुद्धि, भाग्य और विवाह के कारक हैं। उनकी कृपा से ही मंगल कार्य समय पर संपन्न होते हैं। जब उनकी ऊर्जा बाधित हो जाती है, तब विवाह जैसे शुभ कार्यों में रुकावटें बढ़ती हैं और परिवार में चिंता व असंतोष बढ़ने लगता है। इसीलिए साल 2025 के आखिरी गुरुवार को बृहस्पति देव और भगवान विष्णु की साधना बेहद फलदायी हो सकती है।
ऐसी स्थिति को शांत करने के लिए गुरुवार का दिन अत्यंत शुभ माना जाता है, और साल के अंतिम गुरुवार को किया गया विशेष यज्ञ मन की भारीपन को हल्का करने और जीवन में शुभता लाने का माध्यम माना जाता है। इस वर्ष का यह गुरुवार और भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह साल 2025 का आखिरी है। ऐसा माना जाता है कि वर्ष के आखिरी गुरुवार को जयपुर के श्री बृहस्पति धान में दिव्य ऊर्जा अपने उच्चतम स्वरूप में रहती है और जीवन में अटकी हुई स्थितियों को आगे बढ़ाने में सहायक हो सकती है।
🛕 सनातन परंपरा के अनुसार, देवगुरु बृहस्पति स्वयं श्री विष्णु के अंश माने गए हैं। इसलिए भगवान श्री विष्णु की उपासना को बृहस्पति देव को प्रसन्न करने का सर्वोत्तम मार्ग कहा गया है। विष्णु सहस्रनाम का पाठ, बृहस्पति देव की उपस्थिति में, और केले के वृक्ष की पूजा (जो गुरुग्रह का प्रतीक है) ग्रहों की शांति के लिए अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है। यह साधना भगवान विष्णु की दिव्य ऊर्जा को जीवन में आमंत्रित करती है और गुरुग्रह के असंतुलन को शांत करने में सहायक होती है। ऐसा माना जाता है कि भाग्य की हल्की से हल्की असमानता भी इस दिव्य शक्ति के संपर्क से संतुलित हो सकती है। इन वैवाहिक समस्याओं से आध्यात्मिक राहत के लिए आप अपने पार्टनर के साथ भी यह महापूजा बुक कर सकते हैं।
विशेष बृहस्पति गुरु गृह यज्ञ, ईश्वर से यह प्रार्थना है कि विवाह का मार्ग सहज हो, मन शांत रहे और जीवन में सही समय पर सही साथी के आने की स्थितियां बनें। इस यज्ञ की अग्नि में आहुतियाँ, विशेष जप, और केले के वृक्ष की पूजा शामिल है, जो ग्रहों की स्थिरता और मन की शांति के लिए महत्वपूर्ण मानी गई है। गुरुवार को किया गया यह अनुष्ठान, शुभ ऊर्जा को आकर्षित करने और विवाह-संबंधी अड़चनों को शांत करने का माध्यम माना गया है। श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ मन और आत्मा दोनों को शुद्ध करता है, जिससे चिंता, भय और मानसिक रुकावटें कम होती हैं और शुभ संयोगों का मार्ग स्पष्ट होने लगता है।
📿यह विशेष पूजा श्री मंदिर के माध्यम से की जा रही है, जो जीवन में विवाह में हो रही देरी से राहत और सही जीवनसाथी का मार्गदर्शन पाने के लिए पवित्र साधना मानी जाती है।