🛞कभी-कभी, ज़िंदगी के हर क्षेत्र में अपनी पूरी कोशिश करने के बावजूद, हमें अनचाही मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। यह बिज़नेस में, रिश्तों में या हमारी सेहत में भी हो सकता है। ऐसी समस्याओं से घिरे होने का एहसास जिनका कोई साफ़ कारण न हो, दिल को भारी और मन को परेशान कर सकता है। शास्त्रों के अनुसार, ये मुश्किलें अक्सर नकारात्मकता, बुरी नज़र या खराब ग्रहों के असर, खासकर भगवान बृहस्पति देव (बृहस्पति) से जुड़ी हो सकती हैं, जो भाग्य और ज्ञान को नियंत्रित करते हैं। साथ ही बृहस्पति को विष्णु जी का ही एक अंश माना जाता है, इसलिए यह संयुक्त साधना मोक्षदा एकादशी के शुभ काल में संपन्न होने जा रही है।
📿सोमवार को आ रही एकादशी शास्त्रों मे मोक्षदा एकादशी कही गई है, जिसका अपना आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व है। मोक्षदा एकादशी की एक प्रचलित कथा के अनुसार, भोजराज नामक एक धर्मपरायण राजा ने स्वप्न में देखा कि उसके पिता स्वर्गलोक में कष्ट झेल रहे हैं। दुःखी राजा ने ऋषि पराशर से समाधान पूछा। ऋषि ने बताया कि मोक्षदा एकादशी का व्रत और भगवान विष्णु की पूजा उनके पितृ-दुःख का निवारण कर सकती है। राजा ने पूरे श्रद्धा भाव से इस एकादशी का व्रत, रात्रि-जागरण, दान और विष्णु पूजन किया। व्रत के प्रभाव से उसके पिता को मुक्ति मिली और वे दिव्य लोक को प्रस्थान कर गए। इसलिए यह एकादशी पापमोचन और ग्रह सहित सभी दोषों की नाशक भी मानी जाती है।
🛞 भक्तों को उनके रास्ते में आ रही बाधाओं से बचाने का एकमात्र सच्चा तरीका भगवान श्री विष्णु की दिव्य सुरक्षा और गुरु ग्रह की असीम कृपा है। इस अनुष्ठान में सुदर्शन हवन भी शामिल है, जो भगवान विष्णु का दिव्य अस्त्र है। सुदर्शन चक्र सिर्फ़ एक हथियार नहीं है; यह धर्म की स्थापना करने और अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु का अभिन्न अंग है। पुराणों में कहा गया है कि सुदर्शन चक्र ब्रह्मांड से किसी भी डर या खतरे को हटाने के लिए श्री विष्णु का मुख्य अस्त्र है। जब एक हाथी, मगरमच्छ के चंगुल में फंस गया और बहुत दुख में भगवान से प्रार्थना की, तो सुदर्शन चक्र तुरंत प्रकट हुआ और मगर को मुक्ति दी और गज के बंधन काटे।
🛞 यह कहानी इस बात की पुष्टि करती है कि जिस पल कोई भक्त सच में भगवान श्री विष्णु से सुरक्षा के लिए पुकारता है, चक्र तुरंत उसकी रक्षा के लिए आगे आता है। एकादशी के पवित्र दिन यह रक्षा यज्ञ (खास सुरक्षा अनुष्ठान) करने से, आपके परिवार को एक पूरी आध्यात्मिक ढाल का लाभ मिल सकता है। इस अनुष्ठान में 16,000 बृहस्पति मूल मंत्र जाप ग्रहों के असर को शुद्ध करने और भाग्य को बढ़ाने में मददगार माना गया है, जबकि सुदर्शन हवन सीधे दुष्ट ताकतों को खत्म करने के लिए चक्र की शक्ति का आह्वान है। बृहस्पति देवताओं के गुरु हैं, इसलिए उन्हें देवगुरु बृहस्पति कहा जाता है। वे धर्म, ज्ञान, सद्बुद्धि और सत्य के प्रतीक हैं। वहीं, भगवान विष्णु सृष्टि के पालनकर्ता और धर्म की स्थापना करने वाले देवता हैं। कहते हैं कि जब इन दोनों देवों का संयुक्त आशीर्वाद मिलता है तो करियर में सफलता और जीवन में सौभाग्य के रास्ते अपने आप खुलने शुरू हो जाते हैं।
श्री मंदिर के माध्यम से यह विशेष पूजा गुरु ग्रह के बुरे प्रभावों से राहत के साथ धन-समृद्धि का आशीर्वाद लाने की शक्ति रखती है।