सनातन परंपरा में माँ लक्ष्मी को धन, वैभव और सुख-शांति की अधिष्ठात्री देवी माना गया है। उनकी कृपा पाने के लिए कोजागिरी पूर्णिमा, जिसे शरद पूर्णिमा भी कहते हैं, अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस दिन पूर्णिमा का चाँद अपनी पूरी कलाओं के साथ उदित होता है और उसकी उज्ज्वल रोशनी को अमृत समान ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि इसी समय माँ लक्ष्मी की कृपा सबसे प्रबल रूप से जागृत रहती है।
धार्मिक मान्यता है कि कोजागिरी की रात्रि को माँ लक्ष्मी अपने वाहन पर भ्रमण करती हैं और देखती हैं कि कौन जागकर उनकी उपासना कर रहा है। इसलिए इस रात घर-परिवार के लोग दीप जलाते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं और श्रद्धापूर्वक माता का पूजन करते हैं। विशेषकर मध्यरात्रि का समय उनकी आराधना का सर्वोत्तम क्षण माना गया है। दीपदान और मंत्रजप से घर का वातावरण पवित्र और ऊर्जावान हो उठता है।
इस पावन अवसर पर कोल्हापुर स्थित श्री महालक्ष्मी अंबाबाई मंदिर का महत्व विशेष रूप से उल्लेखनीय है। यह 51 शक्तिपीठों में से एक है और इसकी महिमा का प्रमाण यह है कि वर्ष में तीन बार सूर्यदेव की किरणें सीधे गर्भगृह में प्रवेश कर माँ को प्रणाम करती हैं। ऐसा माना जाता है कि कोजागिरी पूर्णिमा की रात, विशेषकर निशीथ काल में, यहाँ किया गया पूजन साधक के जीवन में स्थायी शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
आप भी इस पावन रात्रि में श्री मंदिर के माध्यम से आयोजित विशेष महालक्ष्मी पूजन से जुड़कर माँ लक्ष्मी की कृपा का आह्वान करें और अपने जीवन से कर्ज, विघ्न और अज्ञान को दूर कर शांति, सुख और समृद्धि का स्वागत करें। 🙏💫