सनातन धर्म में सोमवार का दिन देवों के देव महादेव को समर्पित है। पौराणिक कथानुसार, सोमवार के दिन ही चंद्र देव ने भगवान शिव की उपासना कर श्राप से मुक्ति पाई जाती है। तब से माना जाता है कि सोमवार के दिन भगवान शिव की उपासना करने से महादेव जल्दी प्रसन्न होते हैं और अपना दिव्य आशीष प्रदान करते हैं। शास्त्रों में भगवान शिव की आराधना के लिए कई तरह के अनुष्ठान बताए गए हैं, जिनमें स्फटिक लिंगम भस्म अभिषेक और 1008 शिव सहस्त्रनाम रुद्राक्ष अर्चन भी शामिल है। इस अनुष्ठान में स्फटिक शिवलिंग का भस्म से अभिषेक किया जाता है और भगवान शिव के 1008 नामों का उच्चारण करते हुए रुद्राक्ष अर्पित किए जाते हैं। वैरागी होने के कारण भस्म को भगवान शिव का श्रृंगार माना जाता है।। मान्यता है कि भस्म चढ़ाने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं और उस भक्त के सभी दुखों को हर लेते हैं।
इसके साथ ही रुद्राक्ष को भगवान शिव का अंश माना जाता है और कहा जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है। मान्यता है कि सोमवार के दिन शिवलिंग का भस्म से अभिषेक और 1008 शिव सहस्रनाम रुद्राक्ष अर्चन करने से भगवान शिव द्वारा नकारात्मक ऊर्जाओं एवं अस्वस्थता से सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यदि यह अनुष्ठान दक्षिण भारत के तिरुनेलवेली में स्थित एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर में किया जाए तो यह कई गुना अधिक फलदायी हो सकता है, क्योंकि इस मंदिर में देश का सबसे बड़ा भगवान शिव का स्फटिक लिंगम मौजूद है। इसलिए सोमवार के शुभ दिन पर तमिलनाडु के एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर में स्फटिक लिंगम भस्म अभिषेक और 1008 शिव सहस्रनाम रुद्राक्ष अर्चन का आयोजन किया जा रहा है। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और भगवान शिव द्वारा नकारात्मक ऊर्जाओं एवं अस्वस्थता से सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त करें।