कभी-कभी परिवार पूरी कोशिश करने के बावजूद ऐसा महसूस करता है कि जैसे जीवन में समस्याएं खत्म ही नहीं हो रहीं। किसी की तबीयत बार-बार खराब होना, अचानक धन हानि, घर में तनाव या माहौल में अजीब सा भारीपन। यह स्थिति अक्सर नज़रदोष या नकारात्मक ऊर्जा के कारण उत्पन्न होती है, जो मनुष्य को अदृश्य शक्तियों के सामने असहाय महसूस कराती है। शास्त्रों में कहा गया है कि जब आत्मा लगातार ऐसी अनजानी पीड़ा और बाधाओं से घिर जाती है, तो समाधान किसी सर्वशक्तिमान, रक्षक स्वरूप की शरण में जाना होता है। इसलिए अमावस्या तिथि पर की जाने वाली यह विशेष पूजा भगवान भैरव और मां भद्रकाली के संयुक्त रक्षक स्वरूप का आवाहन करती है।
भगवान भैरव, भगवान शंकर का उग्र और रक्षक स्वरूप हैं, जिन्हें समय और दिशा के रक्षक के रूप में जाना जाता है। मां भद्रकाली, मां दुर्गा का शक्तिशाली और करुणामयी रूप हैं, जो अत्यंत प्रचंड बुराई को समाप्त करने के लिए उत्पन्न हुईं। पुराणों में वर्णन है कि जब देवता स्वयं असहाय हो गए थे, तब शिव-शक्ति के संयुक्त तेज को आह्वान कर सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश किया गया। इसलिए, भैरव और भद्रकाली की यह विशेष साधना भय, अनजानी बाधाओं और नज़रबाधा से सुरक्षा प्रदान करती है और समस्याओं को जड़ से समाप्त करने का मार्ग देती है।
इस तंत्र-संयुक्त पूजा के मुख्य अनुष्ठान सरल लेकिन प्रभावशाली हैं। बटुक भैरव पूजन में भैरवदेव के कृपालु बाल-स्वरूप का आवाहन किया जाता है, जो छोटे-छोटे भय, रुकावटें और घर की ऊर्जाओं को शांत करते हैं। भद्रकाली शक्ति साधना मां के माध्यम से वह शक्ति प्रदान करती है, जो जीवन के बड़े संकटों को भी पार करा सके। इसे अमावस्या की रात्रि में करने से पूजा का प्रभाव कई गुना अधिक माना गया है। भक्त को भैरव की रक्षा और मां की विजय-शक्ति का आशीर्वाद मिलता है, जिससे मन में स्थिरता, साहस और शांति आती है।
यह विशेष पूजा श्री मंदिर के माध्यम से आपके जीवन में अभय, सुरक्षा और गृह-शांति के दिव्य आशीर्वाद लेकर आ सकती है 🙏