सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। हिंदु कैलेंडर के अनुसार, हर वर्ष आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन ही मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था। इसलिए भक्त शरद पूर्णिमा पर धन-धान्य की प्राप्ति के लिए मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। वहीं कुछ भक्त शरद पूर्णिमा पर बाबा भैरव के स्वर्णाकर्षण रूप की पूजा करते हैं, क्योंकि बाबा स्वर्णाकर्षण ने ही देवी लक्ष्मी को धनहीन होने पर पुनः संपन्न किया था। पौराणिक कथानुसार, एक बार देवासुर संग्राम 100 वर्षों तक चला था। इस दौरान देवताओं के लिए संशाधनों और शस्त्रों की व्यवस्था करते हुए कुबेर जी का सारा धन समाप्त हो गया और मां लक्ष्मी भी धनहीन हो गईं। इस संकट में महादेव ने नंदी के माध्यम से स्वर्णाकर्षण भैरव की महिमा का बखान किया और बताया कि केवल बाबा स्वर्णाकर्षण ही कुबेर के खाली भंडार को फिर से भर सकते हैं। शिव जी के निर्देश पर लक्ष्मी और कुबेर सहित सभी देवताओं ने कई वर्षों तक कठोर तपस्या की, तब स्वर्णाकर्षण भैरव प्रकट हुए और चार भुजाओं से धन की वर्षा की, जिससे कुबेर और लक्ष्मी सहित सभी देवता फिर से संपन्न हो गए। कहा जाता है कि मनुष्यों की दरिद्रता का नाश करने के लिए नंदी जी ने महर्षि मार्कण्डेय जी को इस स्तोत्र के बारे में बताया था। शास्त्रों के अनुसार, स्वर्णाकर्षण भैरव भगवान काल भैरव का ही सात्त्विक रूप हैं, जिनकी पूजा धन प्राप्ति के लिए की जाती है। यह हमेशा पाताल में रहते हैं, जैसे सोना धरती के गर्भ में होता है।
वहीं बटुक भैरव भगवान शिव का 5 वर्षीय वह बालक रूप है, जो उन्होंने मां पार्वती को पुनः चेतना में लाने के लिए धारण किया था। इसलिए मान्यता है कि शरद पूर्णिमा पर स्वर्णाकर्षण भैरव मंत्र जाप और बटुक भैरव स्तोत्र का पाठ करने से : ऋण मुक्ति, आर्थिक समृद्धि एवं स्थिरता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। वहीं यदि यह पूजा भगवान शिव की नगरी काशी में की जाए तो यह कई गुना अधिक फलदायी हो सकती है, क्योंकि पौराणिक कथानुसार, स्वंय भगवान शिव ने बाबा भैरव को काशी का कोतवाल नियुक्त किया था। माना जाता है कि आज भी बाबा भैरव महादेव की नगरी काशी की रक्षा कर रहे हैं। इसलिए शरद पूर्णिमा के शुभ अवसर पर काशी के श्री बटुक भैरव मंदिर में स्वर्णाकर्षण भैरव मंत्र जाप और बटुक भैरव स्तोत्र पाठ का आयोजन किया जा रहा है। इस बार शरद पूर्णिमा गुरुवार के दिन पड़ रही है और गुरुवार का दिन बाबा भैरव की पूजा के लिए शुभ माना जाता है। ऐसे में इस पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और बाबा भैरव द्वारा ऋण मुक्ति, आर्थिक समृद्धि एवं स्थिरता का आशीर्वाद प्राप्त करें।