सनातन धर्म में काल भैरव जयंती, जो मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी को आती है, श्री काल भैरव के दिव्य प्रकट होने का अत्यंत शक्तिशाली दिन माना गया है। काल भैरव को समय (काल) के स्वामी और सम्पूर्ण आध्यात्मिक जगत के रक्षक (कोतवाल) कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि इस विशेष तिथि पर भैरव की दिव्य शक्ति अपने चरम पर होती है और वे अपने भक्तों के अंधकार, भय, नकारात्मक ऊर्जा और छिपे शत्रुओं को तुरंत नष्ट कर सकते हैं। जब जीवन में बिना कारण डर, रुकावटें, या विरोध महसूस हो—तो यह संकेत है कि भैरवदेव की दैवीय रक्षा की आवश्यकता है। इस महापूजा के साथ भैरवदेव की कृपा से अभिमंत्रित रक्षा सूत्र आपके घर भेजा जाएगा, जो एक सुनहरा अवसर है।
पुराणों के अनुसार, जब ब्रह्मा जी में अहंकार उत्पन्न हुआ, तब भगवान शिव के तेज से काल भैरव प्रकट हुए, जिन्होंने अहंकार को नष्ट कर सिखाया कि किसी भी शक्ति से ऊपर सत्य और विनम्रता है। इसी कारण काल भैरव को काशी का रक्षक कहा गया—जहाँ वे नकारात्मक कर्मों और अदृश्य बाधाओं से भक्तों की रक्षा करते हैं। मान्यता है कि जो व्यक्ति भैरवदेव की शरण में जाता है, उसके जीवन से भय और बाधाओं का प्रभाव धीरे-धीरे समाप्त होने लगता है।
यह विशेष महापूजा उज्जैन के पवित्र श्री विक्रांत भैरव मंदिर में की जाएगी। यहाँ 1,08,000 भैरव कवच पाठ और अभिषेक किया जाता है, जिससे भक्त के जीवन के चारों ओर एक आध्यात्मिक सुरक्षा कवच स्थापित होता है। इस अनुष्ठान के बाद मिलने वाला रक्षा सूत्र भैरव की दिव्य सुरक्षा का प्रतीक है, जो घर और परिवार को हर प्रकार की नकारात्मकता से बचाता है और स्थिरता, शक्ति और आत्मविश्वास प्रदान करता है। इसे आशीर्वाद स्वरूप आपके घर भेजा जाएगा।
🚩✨ यह विशेष पूजा जीवन में सर्वांगीण सुरक्षा और सभी तरह के भय पर विजय का आशीर्वाद दे सकती है।