🕉️क्या कभी ऐसा महसूस होता है कि कोई अंधकार आपके पीछे-पीछे चल रहा है, जबकि आप खुद कुछ गलत नहीं कर रहे? जैसे जीवन में प्रगति रुक गई हो, घर में अनकही तनाव हो, या बार-बार बदकिस्मती सामने आ रही हो। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, ऐसे अनुभव नकारात्मक ऊर्जाओं, बुरी दृष्टि, या अदृश्य बाधाओं के प्रभाव से हो सकते हैं। जब ऐसे अवरोध हमारे धर्म और जीवनमार्ग में अटकावट बन जाते हैं, तब हमें एक विशेष, उग्र और संरक्षक शक्ति की आवश्यकता होती है। यही शक्ति है मां भद्रकाली — वही सौम्य देवी, जो अपने भक्तों की रक्षा के लिए उग्र और अपराजेय रूप धारण करती हैं।
🕉️श्री मंदिर द्वारा आयोजित मां भद्रकाली स्तोत्र पाठ और मां काली सहस्रनाम पाठ, श्री भद्रकाली शक्ति पीठ (कुरुक्षेत्र) में, मां की इसी अद्भुत सुरक्षा शक्ति का आह्वान है। शुक्रवार का दिन देवी मां के लिए समर्पित है, इसलिए यह अनुष्ठान बेहद ख़ास हो जाता है।
मां भद्रकाली की उत्पत्ति अत्यंत प्रभावी और दिव्य कथा है। जब दैत्य दरुक और उसकी सेना ने तीनों लोकों में उत्पात मचाया, तब भगवान शिव की तीसरी आँख से मां भद्रकाली का प्राकट्य हुआ। वह मां दुर्गा का उग्र रूप हैं — जो निर्दोषों की रक्षा और अधर्म के अंत के लिए अवतरित होती हैं। कुरुक्षेत्र स्थित भद्रकाली शक्ति पीठ इस महापूजा के लिए अत्यंत पवित्र मानी जाती है।
मान्यता है कि यहाँ मां सती का चरण अवतरित हुआ था, जिसके कारण यह स्थान दिव्य स्त्री शक्ति का जागृत केन्द्र है, जहाँ मां भद्रकाली की रक्षा शक्ति सदैव सक्रिय मानी जाती है — विशेषकर नज़रदोष और अज्ञात नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षा के लिए यह साधना बेहद फलदायी हो सकती है।
🕉️यह अनुष्ठान केवल स्तुति नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक कवच है। हर नाम, हर श्लोक मां से यह प्रार्थना है कि वह आपके जीवन से अंधकार, बाधाएं और अशुभता दूर करें। इसे शुक्रवार को, जो देवी उपासना का विशेष दिन है, शक्ति पीठ में करवाने से इसका प्रभाव अत्यंत बढ़ जाता है। यह अनुष्ठान प्रेत बाधा, डर, और अशांत ऊर्जा को शांत कर साहस, शांति और जीवन में उन्नति का स्वागत करता है।
🕉️श्री मंदिर द्वारा यह विशेष पूजा आपके जीवन में सुरक्षा, शांति और निर्भय जीवन का आशीष लाती है।