इस एकादशी पर, व्यापार में असफलता और आर्थिक परेशानियों से राहत पाने के लिए राहु देव और माँ बगलामुखी की संयुक्त शक्ति का अनुभव करें।
हिंदू पंचांग में एकादशी को सबसे शक्तिशाली आध्यात्मिक दिनों में से एक माना जाता है। यह वह दिन होता है जब मन खुद-ब-खुद अनुशासन, शांति और भ्रम से दूर होने की ओर झुकता है। जब यह एकादशी राहु द्वारा शासित आर्द्रा नक्षत्र के साथ आती है, तब यह ग्रह शांति के लिए बहुत खास समय बन जाता है – खासकर उन लोगों के लिए जो मानसिक उलझन, व्यापार में रुकावट या सही निर्णय नहीं ले पाने जैसी समस्याओं से परेशान हैं। छाया ग्रह राहु को धोखा, अस्थिरता और अचानक होने वाली हानियों से जोड़ा जाता है। आर्द्रा नक्षत्र में इसका असर और तेज़ हो जाता है, जिससे छिपे हुए शत्रु, आर्थिक अनिश्चितता और मानसिक बेचैनी जैसी समस्याएँ बढ़ सकती हैं। इस समय राहु हमारे विचार, बोलचाल और सोचने की शक्ति पर सबसे ज़्यादा असर डालता है। इसलिए एकादशी जैसे एकाग्रता वाले दिन पर राहु-बगलामुखी शांति पूजा करना बहुत फलदायक माना जाता है।
माँ बगलामुखी दस महाविद्याओं में से एक हैं, जो नकारात्मक ताकतों को रोकने, उन्हें शां करने और उनका असर खत्म करने की दिव्य शक्ति रखती हैं। तांत्रिक ग्रंथों में माँ को वाणी को नियंत्रित करने, शत्रुओं को रोकने और मन को साफ़ करने वाली देवी के रूप में माना गया है। इसलिए उन्हें राहु की चालाक और भ्रम फैलाने वाली ऊर्जा का सबसे सटीक जवाब कहा जाता है। जहाँ राहु मन को भटकाता है, वहाँ माँ बगलामुखी उसे स्थिर करती हैं। जहाँ राहु भ्रम फैलाता है, वहाँ माँ सच्चाई सामने लाती हैं।
राहु-बगलामुखी एकादशी विशेष पूजा इस खास संयोग पर की जाती है, जब भाद्रपद कृष्ण एकादशी के दिन आर्द्रा नक्षत्र होता है। इस दिन 18,000 राहु मूल मंत्रों के जप और माँ बगलामुखी से जुड़े तांत्रिक हवन के साथ यह पूजा सम्पन्न होती है। इस पूजा का उद्देश्य राहु के कारण होने वाली आर्थिक रुकावटें, हानि और छिपे हुए विरोध को शांत करना होता है। यह अनुष्ठान आलोचना, धोखे और मानसिक भ्रम से राहत दिलाने वाला माना जाता है। यह पूजा दो शक्तिशाली मंदिरों – राहु पैठाणी मंदिर और माँ बगलामुखी मंदिर, नरसिंह घाट में एक साथ की जाएगी, जिससे दोनों की ऊर्जा एक साथ काम करती है और इसका प्रभाव और भी ज्यादा बढ़ जाता है।
🌿 इस एकादशी पर श्री मंदिर की इस पूजा में शामिल हों और जीवन की अस्थिरता को स्पष्टता में, डर को आत्मविश्वास में और भ्रम को दिव्य सुरक्षा में बदलें। 🌿