🌑 नरक चतुर्दशी, जिसे रूप चौदस भी कहा जाता है, ऐसा माना जाता है कि यह दिन जीवन से अंधकार, भय और नकारात्मकता को मिटाने का अवसर लाता है। आज के समय में भी बहुत से लोग अदृश्य भय, असुरक्षा, और नकारात्मक शक्तियों से घिरे महसूस करते हैं। कभी-कभी सब कुछ होते हुए भी मन में बेचैनी और भारीपन बना रहता है, मानो कोई अदृश्य शक्ति कार्यों में रुकावट डाल रही हो। ऐसे समय में देवी-देवताओं की साधना ही वह प्रकाश बनती है, जो भीतर के अंधकार को दूर करती है। ऐसा माना जाता है कि नरक चतुर्दशी के दिन अष्ट भैरव की उपासना विशेष रूप से प्रभावशाली होती है।
🕉️🔥अष्ट भैरव भगवान शिव के आठ उग्र और रक्षक स्वरूप हैं, जो जीवन की विभिन्न दिशाओं और समस्याओं से सुरक्षा प्रदान करते हैं। इनकी पूजा से भय, रोग, शत्रु और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है। अष्ट भैरवों का पूजन जीवन में सफलता, स्थिरता और संरक्षण के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। जब इनकी साधना श्री हनुमान जी की उपासना के साथ की जाती है, तो यह साधक के चारों ओर दिव्य सुरक्षा कवच निर्मित करती है। महाबली हनुमान जी जिनको संकटमोचन कहा गया है वे न केवल शत्रुओं का नाश करते हैं, बल्कि भय, रोग और नकारात्मक ऊर्जा को भी नष्ट कर देते हैं।
🕉️🙏 इन दोनों देवताओं की संयुक्त कृपा पाने के लिए काशी के श्री बटुक भैरव मंदिर में इस पावन अवसर पर अष्ट भैरव पूजा एवं अयोध्या के श्री हनुमान गढ़ी मंदिर में संकट मोचन हनुमान अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। मान्यता है कि यह अनुष्ठान न केवल भय और बाधाओं से राहत दे सकता है, बल्कि आत्मविश्वास, बल और साहस की ऊर्जा भी प्रदान करता है। ऐसा कहा जाता है कि जब व्यक्ति सच्चे मन से भैरव और हनुमान जी का आह्वान करता है, तो उसका मार्ग स्वयं देवता प्रशस्त करते हैं।
🙏 भक्त इस विशेष अनुष्ठान में श्री मंदिर के माध्यम से सम्मिलित होकर अष्ट भैरव और महाबली हनुमान जी की संयुक्त कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन से भय, दुर्भाग्य और बाधाओं का नाश करने का आशीर्ष प्राप्त कर सकते हैं। 🕉️🔥