🐍 सर्प (नाग) और पितृ दोष निवारण में गोकर्ण की भूमिका और स्कंद षष्ठी की ऊर्जा 🐍
कई बार जीवन में एक के बाद एक ऐसी परेशानियां घेर लेती हैं, जिनका समाधान दूर-दूर तक नज़र नहीं आता और उनकी वजह क्या है, यह भी हम पता नहीं लगा पाते। काम में लगतार रुकावटें, मेहनत के बावजूद सफलता में देरी और दुर्भाग्य का साया इंसान को अंदर से कमजोर करने लगता है। काफी जतन के बाद पता चलता है कि यह सर्प (नाग) और पितृ दोष के कारक हो सकते हैं। यदि आप भी जीवन में ऐसा महसूस कर रहे हैं तो समस्या के समाधान पर ध्यान देने का सही समय आ गया है। स्कंद षष्ठी पर दक्षिण के काशी गोकर्ण में अश्लेषा बलि पूजा आयोजित होने जा रही है।
स्कंद षष्ठी भगवान कार्तिकेय को समर्पित पावन पर्व है, जिसे हर मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाते हैं। मान्यता है कि इस दिन भगवान स्कंद ने दैत्य सूरपदमन का वध किया था। भक्त उपवास, पितृ शांति पूजा कर परिवार में संकट-शमन का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। अश्लेषा बलि पूजा पितृदोष, नागदोष और नकारात्मक ऊर्जा को शांत करने हेतु की जाने वाला विशेष धार्मिक माध्यम है। इसमें कर्मदोष निवारण, पितृ-तर्पण और नाग देवता के पूजन की संयुक्त विधि शामिल होती है। इस बार यह पूजा गोकर्ण क्षेत्र में विद्वान पुरोहितों द्वारा संपन्न कराई जाएगी। मान्यता है कि अश्लेषा बलि जीवन में बार-बार आने वाली बाधाओं, संतान-संबंधी समस्याओं, मानसिक बेचैनी और दांपत्य असंतुलन को दूर कर सकती है। भक्तों को इससे शांति, स्थिरता, आत्मविश्वास और ग्रहदोषों से राहत की सही दिशा प्राप्त होती है।
यह दिव्य पूजा विशेष काल में विधि-विधान के साथ विद्वान ब्राह्मणों द्वारा कराई जाती है। यूं तो यह महापूजा अश्लेषा नक्षत्र में भी होती है, जिसके स्वामी नाग देवता हैं। लेकिन इस बार यह साल 2025 खत्म होने से पहले दिव्य काल में हो रही है, जो जीवन को नई ऊर्जा और उन्नति देने की शक्ति रखती है।
🛕 हिंदू धर्म में नागबली पूजा एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जो नाग देवता की पूजा और आराधना के लिए किया जाता है। यह पूजा आराधक को इन कष्टों से बचाने में मदद करती है:
नाग देवता की दृष्टि: नागबली पूजा करने से नाग देवता की रुकी हुई कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति के जीवन में सुख और शांति का वास होता है।
नकारात्मकता: नागबली पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और व्यक्ति के जीवन में भरपूर सकारात्मकता आनी शुरू हो जाती है।
पितृ दोष: नागबली पूजा से पितृ दोष का निवारण होता है और व्यक्ति के परिवार में सुख और शांति आती है, पूर्वजों का आशीर्वाद मिलना शुरू हो जाता है।
नाग दोष: नागबली पूजा करने से कुंडली में नाग दोष का निवारण होता है और व्यक्ति के पूर्व कर्मों में सुधार संभव है, सुखद फल की प्राप्ति होती है।
गोकर्ण में आयोजित होने जा रही इस नागबली पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है। सर्प दोष से पीड़ित आराधकों के लिए यह विशेष अवसर है, जो उन्हें जीवन में कार्मिक पापों के विपरीत फलों से सुरक्षा का आशीर्वाद दिलाएगा।
श्री मंदिर के माध्यम से ‘दक्षिण के काशी’ गोकर्ण में होने जा रही अश्लेषा नागबली पूजा में भाग लें और इसके फल से पापों के चक्र से मुक्ति का आशीर्वाद पाएं।