⚔️ क्या आप लगातार बाधाओं से घिरे हैं या शत्रुओं और न्यायालय के मामलों में विजय प्राप्त करने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं? विजयदशमी के दिन आप माँ दुर्गा के अपराजिता स्वरूप की कृपा प्राप्त करने का अवसर पा सकते हैं। देवी अपराजिता का अर्थ ही है - "जो कभी पराजित नहीं होतीं।" उनके आशीर्वाद से जीवन की चुनौतियों को अवसर में बदलने की प्रार्थना की जाती है।
🔥 सनातन धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। यह नौ दिनों का पर्व माँ दुर्गा के नौ रूपों की उपासना के लिए समर्पित है। मान्यता है कि इन्हीं नौ दिनों में माँ दुर्गा ने महिषासुर का युद्ध किया और दशमी तिथि को उसका वध कर जगत में शांति स्थापित की। इसी कारण दशहरा या विजयदशमी को विजय का पर्व कहा जाता है।
🌸 माँ अपराजिता, जिनका उल्लेख देवी पुराण और चंडी पाठ में मिलता है, दुर्गा का वह रूप हैं जो कभी पराजित नहीं होतीं। उनका स्वरूप सिंह पर आरूढ़ और अनेक आयुधों से सुशोभित बताया गया है। भक्त मानते हैं कि उनकी उपासना से जीवन की कठिन परिस्थितियों पर विजय की राह खुलती है।
🔥 अपराजिता स्तोत्र को माँ की कृपा पाने का प्रभावी उपाय माना गया है। विजयदशमी के दिन इसका पाठ करने से शत्रुओं पर विजय और न्यायालय मामलों में सफलता की प्रार्थना की जाती है। जब इस स्तोत्र पाठ के साथ दुर्गा-चंडी महायज्ञ भी किया जाता है, तो यह और भी शक्तिशाली माना जाता है। दुर्गा-चंडी महायज्ञ माँ दुर्गा को समर्पित अग्नि अनुष्ठान है, जिसके बारे में मान्यता है कि यह बाधाओं को दूर करने और प्रार्थनाओं की प्रभावशीलता बढ़ाने में सहायक होता है।
🌺 इस पावन विजयदशमी पर काशी स्थित दुर्गा कुंड मंदिर में अपराजिता स्तोत्र पाठ एवं दुर्गा-चंडी महायज्ञ का आयोजन हो रहा है।
🙏 श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष अनुष्ठान में भाग लें और शत्रुओं पर विजय, न्यायालय मामलों में सफलता और जीवन में सर्वांगीण विजय के लिए माँ अपराजिता के आशीर्वाद की प्रार्थना करें।