🔥कभी-कभी जीवन में परेशानी केवल खराब समय या ग्रह-स्थिति के कारण नहीं आती, बल्कि किसी व्यक्ति की बुरी इच्छा से भी उत्पन्न हो सकती है। शास्त्र इसे शत्रु-बुद्धि कहते हैं — जब कोई व्यक्ति हमारे विरुद्ध ईर्ष्या, वैमनस्य या द्वेष से प्रेरित होकर नुकसान पहुँचाने का प्रयास करता है। ऐसे अदृश्य या स्पष्ट शत्रु धीरे-धीरे मन में भय बैठा देते हैं, व्यापार में हानि का कारण बनते हैं, और कई लोगों को लगातार चलने वाले कोर्ट केस या विवादों में फंसा देते हैं। ऐसे समय में लगता है कि मानो जीवन पर एक गहरा अंधेरा छा गया हो। जब मनुष्य का प्रयास अकेला पर्याप्त नहीं रहता, तब आवश्यक होती है मां की दिव्य सुरक्षा — वह शक्ति जो अंधकार को जड़ से तोड़ सके और शत्रु पर पूर्ण विजय प्रदान कर सके। ऐसी ही घड़ी में भक्त मां चामुंडा देवी की शरण में जाते हैं।
मां चामुंडा देवी की महिमा उनके इस वचन में निहित है कि वे अपने भक्तों को हर बुराई से सुरक्षित रखेंगी। शास्त्रों में वर्णित है कि जब चंड और मुण्ड नामक असुर अत्यंत अत्याचारी हो गए, तो देवता भी असहाय हो गए। तब मां ने दिव्य क्रोध और शक्ति के स्वरूप में चामुंडा का रूप धारण किया। उनके दर्शन मात्र से ही उन दुष्ट शक्तियों का अंत हो गया। यह कथा बताती है कि मां की शक्ति सर्वोच्च है, और उनके भक्त के विरुद्ध कोई भी सांसारिक या अलौकिक शत्रु टिक नहीं सकता।
अमावस्या की रात्रि गहन ऊर्जा और परिवर्तन की रात्रि होती है, इसलिए अंधकार को मिटाने वाली दिव्य शक्ति को आमंत्रित करने का यह सर्वोत्तम समय माना गया है। शत्रु-विजय अनुष्ठान, जो चामुंडा देवी सिद्धपीठ में संपन्न होता है, उसी दिव्य शक्ति को सक्रिय करने का पवित्र माध्यम है, जिसने चंड और मुण्ड का विनाश किया था। आपके नाम और परिवार के लिए किए जाने वाले इस महायज्ञ और आहुति के माध्यम से रक्षा-कवच की स्थापना होती है। माना जाता है कि यह अनुष्ठान न सिर्फ बाहरी शत्रुओं को शांत करता है और कानूनी मामलों में अनुकूलता लाता है, बल्कि मन के भीतर छिपे भय को भी समाप्त करता है, जिससे भक्त जीवन के हर चरण में आत्मविश्वास और शांति के साथ आगे बढ़ सकता है।
🔥🌺 श्री मंदिर द्वारा कराया गया यह विशेष अनुष्ठान मां की प्रचंड, रक्षक ऊर्जा को आपके जीवन में आमंत्रित करता है — विजय के लिए, सुरक्षा के लिए और गहन शांति के लिए।