एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर में आयोजित सहस्रनाम पाठ एवं 1008 तुलसी अर्चना के माध्यम से आप भी पा सकते हैं नकारात्मकता के चक्र से राहत🔱
अजा एकादशी, भगवान नारायण के सम्मान में मनाई जाती है और वैष्णव परंपरा में इसे अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन उपवास रखने और अनुष्ठान करने से पिछले कर्मों के प्रभाव शुद्ध होते हैं, जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और भक्तों के जीवन में ईश्वरीय सुरक्षा और कृपा आती है। पुराणों में भी अजा एकादशी का उल्लेख है, जहां कहा गया है कि जो लोग इस दिन व्रत रखते हैं और पूजा करते हैं, उन्हें अपने कर्मिक बोझ से मुक्ति मिलती है। भगवान नारायण, जो सृष्टि के पालक हैं, की पूजा माता लक्ष्मी के साथ की जाती है। माता लक्ष्मी धन, समृद्धि और कल्याण की देवी हैं। इन दोनों की संयुक्त ऊर्जा न केवल भौतिक समृद्धि बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन भी प्रदान करती है, और भक्तों को जीवन की विपत्तियों और नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षा देती है। लक्ष्मी-नारायण सहस्त्रनाम पाठ में इनके एक हजार नामों का जाप किया जाता है, जो मन, शरीर और आत्मा को इनके ऊर्जा के साथ जोड़ता है और भक्ति, स्पष्टता और आंतरिक शक्ति बढ़ाता है।
यह अनुष्ठान तिरुनेलवेली, तमिलनाडु के ऐतिहासिक एत्तेलुथुपेरुमाल मंदिर में संपन्न होगा। इस पवित्र मंदिर का शांत वातावरण और वैष्णव परंपरा इस पूजा की आध्यात्मिक शक्ति को और बढ़ाती है। वहीं 1008 तुलसी अर्चना के माध्यम से भक्तों के जीवन में दिव्य ऊर्जा का प्रवाह और भी मजबूत होता है। विशेषकर अजा एकादशी अर्चना में भाग लेने से भक्त कर्मिक बाधाओं को पार करने, मानसिक स्पष्टता प्राप्त करने, निर्णय क्षमता मजबूत करने और आंतरिक शांति पाने का अनुभव कर सकते हैं। कहते हैं कि जो भक्त इस पूजा में सम्मिलित होते हैं, वे ईश्वरीय ऊर्जा के साथ गहरा संबंध महसूस करते हैं, जिससे यह अनुष्ठान जीवन की नकारात्मकताओं, चुनौतियों और बार-बार आने वाली कठिनाइयों से राहत पाने का एक प्रभावी माध्यम बन जाता है।
आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष अनुष्ठान के भागी बनें।