मकर संक्रांति पर भगवान विष्णु की पूजा क्यों की जाती है? 🐚🙏
🤔इससे जुड़ी रोचक कथा क्या है?
मकर संक्रांति हिंदू धर्म में नए साल के बाद मनाए जाने वाले पहले प्रमुख त्योहारों में से एक है और इसका विशेष स्थान है। यह खरमास के अंत होने पर धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए शुभ समय के शुरुआत का प्रतीक है। मकर संक्रांति को राक्षसों पर भगवान विष्णु की जीत के प्रतीक के रूप में भी मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर राक्षसों का नाश किया और उनका सिर अपने सुदर्शन चक्र से काटकर मंदार पर्वत पर दफना दिया। तब से भगवान विष्णु की इस जीत को मकर संक्रांति के त्योहार के रूप में मनाया जाता है। इसलिए, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन उनकी पूजा करने से भौतिक सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है और भावनात्मक खुशहाली को बढ़ावा मिलता है। इसलिए मकर संक्रांति के पावन अवसर पर भगवान विष्णु के अवतार भगवान कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में सत्यनारायण कथा, 51,000 विष्णु द्वादशाक्षरी मंत्र जाप और सुदर्शन हवन का आयोजन किया जाएगा। यह भव्य अनुष्ठान 12 घंटे तक चलेगा और हर पल भगवान विष्णु के आशीर्वाद और दिव्य कृपा से भरा हो, यह सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत भक्ति के साथ आयोजित किया जाएगा।
स्कंद पुराण के अनुसार, भगवान सत्यनारायण भगवान विष्णु के ही एक रूप हैं। सत्यनारायण व्रत कथा का शास्त्रों में बहुत महत्व है, क्योंकि इसे स्वयं भगवान सत्यनारायण ने नारद मुनि को सुनाया था। ऐसा माना जाता है कि सत्यनारायण कथा का पाठ करने से हजारों वर्षों तक हवन करने के बराबर लाभ मिलता है। मकर संक्रांति पर इस कथा को करने से समृद्धि आती है और घर में भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है। वहीं, विष्णु द्वादशाक्षरी मंत्र केवल एक मंत्र नहीं बल्कि भगवान विष्णु का सर्वोच्च मंत्र है। ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र की शक्ति भक्तों को उनकी मनोकामनाएं पूरी करने में सक्षम बनाती है। इसी तरह, सुदर्शन हवन भगवान विष्णु के उग्र और सुरक्षात्मक रूप भगवान सुदर्शन को समर्पित एक पवित्र अग्नि अनुष्ठान है। माना जाता है कि इस हवन को करने से भक्तों को सुरक्षा, आशीर्वाद और समग्र कल्याण मिलता है। इन तीनों अनुष्ठानों को एक साथ करने से भक्तों को भौतिक सुख और भावनात्मक कल्याण का आशीर्वाद मिलता है। श्री मंदिर के माध्यम से इस 12 घंटे की विशेष विष्णु पूजा में भाग लें और भगवान विष्णु का विशेष आशीर्वाद प्राप्त करें।