कभी-कभी कड़ी मेहनत के बावजूद आर्थिक स्थिरता हाथ नहीं आती। व्यापार में रुकावटें आती हैं, खर्चे बढ़ जाते हैं और समृद्ध जीवन का सपना दूर लगता है। हमारे शास्त्रों के अनुसार, इन चुनौतियों को मां महालक्ष्मी की कृपा से दूर किया जा सकता है। जब उन्हें अत्यंत शुभ तिथियों पर पूजित किया जाता है, तब धन और सौभाग्य के द्वार खुल जाते हैं। इस वर्ष एक दुर्लभ और अत्यंत शक्तिशाली अवसर प्राप्त हुआ है जब मां महालक्ष्मी की पूजा दो सबसे पवित्र दिनों पर की जा सकती है शरद पूर्णिमा और दीपावली अमावस्या।
शास्त्रों में बताया गया है कि शरद पूर्णिमा वह रात्रि है जब चंद्रमा सबसे तेज चमकता है और ऐसा माना जाता है कि मां लक्ष्मी स्वयं पृथ्वी पर आती हैं और भक्ति से भरे घरों में प्रवेश कर उन्हें आशीर्वाद देती हैं। यह रात्रि दिव्य अमृत और समृद्धि की होती है। इसके बाद दीपावली अमावस्या वर्ष की सबसे महत्वपूर्ण रात्रि होती है जब मां लक्ष्मी की आराधना की जाती है। इस रात्रि को भक्त दीप प्रज्वलित कर मां लक्ष्मी का स्वागत करते हैं और वर्ष भर गरीबी से मुक्त और सौभाग्य से भरा जीवन पाने की प्रार्थना करते हैं। इन दोनों अवसरों पर की गई पूजा अत्यंत फलदायी मानी जाती है।
इस विशेष महापूजा में हमारे विद्वान आचार्य पहले शरद पूर्णिमा के पवित्र दिन आपके नाम से महालक्ष्मी पूजा करेंगे। कमल पुष्प, मिठाइयाँ और श्रद्धा से भरी प्रार्थनाओं के साथ मां लक्ष्मी का आह्वान किया जाएगा। फिर दीपावली की पावन रात्रि पर एक बार फिर आपके नाम से यह पूजा की जाएगी जिससे मां की कृपा कई गुना बढ़ेगी। इन दो अत्यंत शक्तिशाली तिथियों पर की गई यह दोहरी प्रार्थना निरंतर समृद्धि, सफलता और सौभाग्य को आपके जीवन में आमंत्रित करने का एक सुंदर माध्यम है।
श्री मंदिर के माध्यम से की जाने वाली यह विशेष महापूजा मां लक्ष्मी की कृपा से आपके घर में स्थायी धन और समृद्धि का आशीर्वाद लाने का एक शुभ अवसर प्रदान करती है।