🪈 निशित काल में 1008 तुलसी अर्चना और 56 भोग के साथ कृष्ण षोडशोपचार महापूजा
हिंदू कैंलेडर में सावन समापन के बाद भाद्रपद महीने की शुरुआत होती है। भाद्रपद महीना त्योहारों से भरपूर रहता है, जिसमें जन्माष्टमी, अनंत चतुर्दशी जैसे त्योहार भक्तों के बीच धूमधाम से मनाए जाते हैं। त्योहारों के इस महीने में आराधना और अनुष्ठान भी भव्य हो जाते हैं, जिसके फल से भक्तों को जीवन में नए-नए अवसर मिलते हैं और उन्नति की दिशा मजबूत होती है। इसी क्रम में निशित काल में कृष्ण षोडशोपचार महापूजा होने जा रही है, जो जीवन के हर मोड़ पर प्रेम, सुरक्षा और स्पष्टता की राह दिखा सकती है।
🪈 कृष्ण जन्माष्टमी की दिव्य कथा:
भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था, जहां उनके मामा कंस ने उनके पिता वासुदेव और माता देवकी को बंदी बना रखा था। कंस ने भविष्यवाणी से पता चलने पर कि देवकी के आठवें पुत्र द्वारा उसकी मृत्यु होगी, उसने देवकी और वासुदेव को कारागार में डाल दिया। जब कृष्ण जी का जन्म हुआ तो वासुदेव ने उन्हें गोकुल में नंद और यशोदा के घर पहुंचा दिया, जहां उनका पालन-पोषण हुआ। इस आराधना में 1008 तुलसी अर्चना और 56 भोग भी है, जिसके लिए पुराणों में विस्तार से बताया गया है। कृष्ण जी और तुलसी का संबंध बहुत गहरा है। तुलसी को देवी लक्ष्मी का रूप माना गया है और भगवान कृष्ण को विष्णु का अवतार। इस तरह तुलसी जी को भगवान कृष्ण की सबसे प्रिय भक्त और पत्नी के रूप में भी पूजा जाता है।
🪈 कृष्ण षोडशोपचार पूजा भगवान कृष्ण की 16 विधियों से की जाने वाली पूजा है। इसमें आह्वान, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, यज्ञोपवीत, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, दक्षिणा, प्रदक्षिणा और मंत्रपुष्प शामिल हैं। यह पूजा जन्माष्टमी पर दिव्य काल में की जाती है, जो जीवन में प्रेम, सुरक्षा और आध्यात्मिक स्पष्टता की सही राह दिखा सकती है। जब इस आराधना में कन्हैया जी के 56 भोग जुड़ते हैं तो यह जन्माष्टमी पर्व की शक्ति और इसके फल को कई गुना बढ़ा देता है। यदि आप जीवन में हर मोड़ पर खुद को अकेला, कमजोर और असहाय पा रहे हैं तो ऐसे अनुष्ठान जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जा सकते हैं। जन्माष्टमी पर होने जा रहा यह अनुष्ठान इस साल का आखिरी अवसर है, जिसे निशित काल में विद्वान ब्राह्मणों द्वारा संपन्न कराया जाएगा।
श्री मंदिर द्वारा आयोजित होने जा रहे 1008 तुलसी अर्चना और 56 भोग के साथ कृष्ण षोडशोपचार महापूजा में भाग लें और जीवन में प्रेम, वात्सल्य के साथ-साथ स्पष्टता और सुरक्षा का आशीर्वाद पाएं।