🤔 क्या आपका जन्म किसी भी महीने की 2, 11, 20 या 29 तारीख को हुआ है?
तो आपका मूलांक 2 है, जो चंद्रदेव (चंद्रमा) द्वारा शासित होता है। चंद्रमा मन, भावनाओं और आंतरिक संवेदनशीलता के ग्रह माने जाते हैं। मूलांक 2 वाले व्यक्ति सहज, करुणामयी और भावनात्मक रूप से बेहद समझदार होते हैं। ये अपने परिवार, मित्रों या कार्यस्थल में अक्सर भावनात्मक आधार बन जाते हैं। लेकिन दूसरों का सहारा बनने की इस शक्ति के पीछे एक शांत संघर्ष भी छिपा होता है –
- वे बार-बार गहराई से महसूस करते हैं।
- वे माहौल की भावनाओं को आसानी से अपने भीतर खींच लेते हैं।
- वे जरूरत से ज़्यादा सोचते हैं और धीरे-धीरे मानसिक रूप से थक जाते हैं।
- वे भीतर शांति चाहते हैं, लेकिन कई बार आंतरिक उथल-पुथल में ही घिरे रहते हैं।
जब चंद्रमा की ऊर्जा अत्यधिक सक्रिय हो जाती है, तब यही संवेदनशीलता अस्थिरता का कारण बन जाती है। यही वह बिंदु है जहाँ शिव की आवश्यकता महसूस होती है शिव, जो दिव्य शांति और स्थिरता के प्रतीक हैं। वैदिक परंपरा में शिव को अपने मस्तक पर चंद्रमा धारण करते हुए दर्शाया गया है। यह मानसिक संतुलन और शीतलता का प्रतीक है।
शिव और चंद्रदेव दोनों के आह्वान से यह विशेष पूजा मन को स्थिर करती है, भावनाओं को शांत करती है और भीतर की स्पष्टता लौटाती है।
यह विशेष अनुष्ठान ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग जैसे पवित्र स्थल पर संपन्न होता है, जिसमें शामिल हैं:
👉 शिव–चंद्र संकल्प पाठ — जिससे आपकी निजी भावना और जीवन उद्देश्य पूजा का हिस्सा बनता है।
👉 दूध अभिषेक — शिवलिंग पर, जो तंत्रिका तंत्र को ठंडक और संतुलन प्रदान करता है।
👉 चंद्र मंत्र जाप — जिससे चंद्र ऊर्जा संतुलित होती है और मानसिक हलचल कम होती है।
👉 दीपदान और आरती — भावनात्मक शरीर में हल्कापन और मानसिक स्फूर्ति लाने हेतु।
यह पूजा उन लोगों के लिए आदर्श है जो लगातार भावनात्मक थकावट, मूड स्विंग्स, या भीतर की बेचैनी से जूझ रहे हैं। यह विशेष क्षण उन लोगों के लिए है जो हमेशा दूसरों का ख्याल रखते हैं लेकिन अपनी ही शांति को पीछे छोड़ देते हैं।
जब भावनाएं बेकाबू हो जाती हैं, शिव उन्हें स्थिर करते हैं। जब मन अधिक बोलने लगे, चंद्र उसे सुनते हैं। यह पूजा आपका वह क्षण हो सकती है। जहां आप स्वयं से फिर जुड़ें, शांति को पुनः महसूस करें और भीतर से मुक्त हों।