✨ इस विशेष अनुष्ठान से जुड़कर महाशिवरात्रि की परम शक्ति का अनुभव करें ।🔱
🔱 एक पवित्र रात्रि, चार दिव्य प्रहर, अनंत आशीर्वाद। ✨
महाशिवरात्रि केवल एक रात नहीं है, बल्कि यह भगवान शिव की दिव्य शक्ति का उत्सव है, जो आध्यात्मिक जागरण, सकारात्मकता और जीवन में बदलाव का समय है। पवित्र शास्त्रों के अनुसार, इस रात भगवान शिव ने शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे, जिससे यह रात वर्ष की सबसे खास और रहस्यमय रात बन गई। महादेव से शक्ति, समृद्धि और सफलता के आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए इस रात भक्त प्रार्थनाओं, साधना और अभिषेक अनुष्ठानों में लीन रहते हैं, माना जाता है कि इस विशेष अवसर पर भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने वाले भक्त अपने जीवन की नकारात्मकता को दूर करके, अपने कर्मों को शुद्ध कर सकते हैं और आंतरिक शांति पा सकते हैं। ऐसे में रात्रि के चार प्रहरों (चरणों) के दौरान भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। ये प्रहर भक्तों की प्रार्थनाओं को और भी शक्तिशाली बना देते हैं, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि और मुक्ति प्राप्त होती है। रुद्राभिषेक विशेष रूप से एक शक्तिशाली पूजा मानी जाती है, जिससे व्यक्ति की आत्मा शुद्ध होती है, रोग दूर होते हैं और जीवन में सुख-शांति आती है।
मान्यता है कि यह अभिषेक ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पर करना अत्यंत फलदायी है, जो स्वयंभू लिंगम है और 12 ज्योतिर्लिंगों में चौथा स्थान रखता है। ओंकारेश्वर पर चारों प्रहरों में अभिषेक करने से आइसीलिए महाशिवरात्रि के खास अवसर पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पर 4 प्रहर महा अभिषेक पूजा का आयोजन किया जा रहा है। यह एक 12 घंटे का भव्य अनुष्ठान है, जो भक्तों को भगवान शिव से दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रभावी और शक्तिशाली माध्यम है।
पूजा का समय और पवित्र प्रसाद
👉प्रदोष काल के रूप में जाना जाने वाला पहला प्रहर शाम 06:43 बजे से शुरू होकर रात 09:47 बजे तक चलेगा। इस दौरान भगवान शिव का भस्म और गंगाजल से विशेष अभिषेक किया जाएगा।
👉दूसरा प्रहर रात 09:47 बजे से शुरू होकर 27 फरवरी को रात 12:51 बजे तक चलेगा। इस दौरान भगवान शिव का दूध और भांग से विशेष अभिषेक किया जाएगा।
👉तीसरा प्रहर रात 12:51 बजे से शुरू होकर 27 फरवरी को सुबह 03:55 बजे तक चलेगा। इस दौरान विशेष अभिषेक के लिए गन्ने के रस और शहद का इस्तेमाल किया जाएगा।
👉 चौथे और अंतिम प्रहर की पूजा 03:55 बजे से 06:59 बजे, 27 फरवरी तक होगी। ब्रह्म मुहूर्त (हिंदू शास्त्रों के अनुसार सबसे शुभ समय) में भगवान शिव का यह महा अभिषेक शोडशोपचार अभिषेक के साथ पूरा किया जाएगा, जिसमें 11 प्रकार के फल का रस और पंचामृत (दूध, दही, शहद, शक्कर और घी का मिश्रण) शामिल होगा।