🔱 गुप्त नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर ही मां भद्रकाली शक्तिपीठ और शनि शांति आराधना क्यों? 🔱
हिंदू धर्म में गुप्त नवरात्रि एक अत्यंत शुभ और रहस्यमय काल माना जाता है, जो साधकों को आध्यात्मिक जागरण, रक्षा और सिद्धि प्रदान करता है। यह समय तंत्र साधना और विशेष पूजन का होता है, जहाँ की गई एक पूजा कई अनुष्ठानों के बराबर फल देती है। गुप्त नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर मां भद्रकाली की महापूजा और शनि दोष शांति यज्ञ का विशेष महत्व बताया गया है। यह अनुष्ठान विशेष रूप से उन साधकों के लिए है, जो जीवन में असफलताओं, शत्रु बाधाओं या न्यायिक मामलों में रुकावटों से पीड़ित हैं।
जहां पांडवों ने श्री कृष्ण के साथ की थी मां भद्रकाली की पूजा… इस कथा में छिपा है मंदिर का विशेष महत्व 🛕
अष्टमी तिथि के शुभ अवसर पर भद्रकाली शक्तिपीठ में विशेष धर्म रक्षा महापूजा एवं शनि दोष शांति यज्ञ का आयोजन किया जाएगा। यह अनुष्ठान कुरुक्षेत्र स्थित श्री देवीकूप भद्रकाली मंदिर में सम्पन्न होगा, जो 52 प्रतिष्ठित शक्तिपीठों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर मां सती का दाहिना टखना गिरा था, जिससे यह स्थल अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली बन गया। एक अन्य पौराणिक मान्यता के अनुसार, महाभारत युद्ध से पहले पांडवों ने भगवान श्रीकृष्ण के साथ यहां माँ भद्रकाली की आराधना कर युद्ध में विजय का आशीर्वाद प्राप्त किया था।
शास्त्रों में उल्लेखित है कि भद्रकाली शक्तिपीठ में गुप्त नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर की गई विशेष पूजा और शनि शांति यज्ञ से देवी भद्रकाली के उग्र लेकिन कृपालु रूप का आह्वान होता है। वहीं शनिदेव, जो न्याय के देवता माने जाते हैं, इस यज्ञ से प्रसन्न होकर साधक के जीवन से न्यायिक उलझनें, शत्रुता और मानसिक अस्थिरता को शांत करते हैं। यह संयुक्त अनुष्ठान साधक को कठिन परिस्थितियों से उबार कर जीवन में विजय, स्थिरता और सुरक्षा प्रदान करता है।
श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में शामिल हों और गुप्त नवरात्रि अष्टमी के शुभ आरंभ पर माँ भद्रकाली और शनिदेव का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करें।