✨ क्या आप देवशयनी एकादशी पर मथुरा से पाना चाहते हैं भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद? तो इस पवित्र पूजा में आज ही शामिल हों🙏
देवशयनी एकादशी, जिसे हरि शयनी एकादशी भी कहा जाता है, आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह वह शुभ तिथि होती है जब भगवान विष्णु क्षीरसागर में चार महीनों के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं। इस एकादशी को भगवान विष्णु की विशेष पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना गया है, विशेष रूप से उनके कृष्ण रूप में, ताकि भक्तों को जीवन में सुरक्षा, शांति और समृद्धि प्राप्त हो।
एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को यह कथा सुनाई थी। भद्रावती नामक नगर में सुकेतु नाम के एक राजा अपनी पत्नी शैव्या के साथ निवास करते थे। राजसी वैभव के बावजूद वे अत्यंत दुखी थे क्योंकि उनके कोई संतान नहीं थी। यह चिंता उन्हें इस हद तक व्यथित कर गई कि वे राजपाट छोड़कर वन में भटकने लगे। एकादशी के दिन वे मानसरोवर के पास एक आश्रम पहुँचे, जहाँ ऋषियों ने उनका आत्मीय स्वागत किया। उनके दुख से प्रभावित होकर, ऋषियों ने उन्हें एकादशी व्रत रखने और भगवान विष्णु की श्रद्धापूर्वक पूजा करने की सलाह दी।
राजा और रानी ने आकर पूरे श्रद्धा-भाव से व्रत और पूजन किया। भगवान विष्णु की कृपा से उन्हें शीघ्र ही संतान की प्राप्ति हुई। तभी से एकादशी विशेष रूप से संतान की मंगलकामना के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस देवशयनी एकादशी पर भक्त श्रीकृष्ण के बालरूप लड्डू गोपाल या संतान गोपाल की पूजा करते हैं। धर्मग्रंथों के अनुसार, इस दिन लड्डू गोपाल की सेवा से संतान की सेहत, उज्ज्वल भविष्य, सुरक्षा और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है।
इस वर्ष मथुरा में, भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि पर, एक दिव्य पूजा का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें शामिल हैं:
✨ 11,000 संतान गोपाल मंत्र जाप
✨ श्री लड्डू गोपाल पंचामृत अभिषेक
✨ संतान सुख प्राप्ति हवन
आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस पावन अनुष्ठान में सहभागी बनें और अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य व परिवार के सुख-शांति हेतु श्रीकृष्ण का प्रेमपूर्ण आशीर्वाद प्राप्त करें।