🔱🌿सावन की आखिरी गुरुवार पर महसूस करें त्रिदेव स्वयंभू रुद्राभिषेक की शक्ति ✨
सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति के लिए सबसे पवित्र समय माना जाता है। इस पूरे महीने में की गई पूजा, ध्यान और विशेष रूप से रुद्राभिषेक, भक्तों को मानसिक शांति और इच्छापूर्ति की दिशा प्रदान करता है। खासकर सावन की आखिरी गुरुवार पर भगवान शिव को जल, दूध और पवित्र द्रव्यों से अभिषेक करना अत्यंत फलदायी माना गया है, क्योंकि शिव जी की शरण में जाने के लिए यह साल का आखिरी अवसर है। त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग में गुरुवार पर होने जा रहा यह अनुष्ठान इसलिए भी अहम है, क्योंकि यहां महादेव - ब्रह्मा, विष्णु और महेश के रूप में विराजमान हैं।
🌿यदि आप सावन के पिछले सोमवारों को कारोबार या गृहस्थी के कामों में फंसे रह गए तो इस आखिरी गुरुवार को त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग में ब्रह्मा, विष्णु और महेश को समर्पित इस भव्य अनुष्ठान में भाग लेने का सुनहरा मौका है। यह भारत का एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है, जहां त्रिदेवों की एक साथ पूजा होती है। गोदावरी नदी के करीब यह स्थान पितृ शांति, कर्म शुद्धि और जीवन के संतुलन का प्रतीक माना गया है। इस आयोजन में रुद्राभिषेक के लिए विशेष रूप से पवित्र द्रव्यों का प्रयोग किया जाएगा जैसे गंगाजल, गोदावरी जल, पंचामृत, बेल-पत्र, भस्म और कमल पुष्प। साथ ही एक संकल्प यज्ञ भी सम्पन्न होगा, जिसमें त्रिदेवों से जुड़ी समर्पण सामग्रियाँ - लकड़ी, हल्दी की गांठ, दूर्वा और अक्षत अर्पित की जाएंगी।
🌿 यह अनुष्ठान उन भक्तों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जो अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति, जीवन में सामंजस्य और संतुलन चाहते हैं। यह आत्म-संतुलन, इरादों को सुदृढ़ करने और आध्यात्मिक साधना को नई दिशा देने का एक शक्तिशाली साधन है। श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष रुद्राभिषेक में भाग लेकर, आप सावन के आखिरी गुरुवार को त्रिदेवों का संयुक्त आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में आध्यात्मिक ऊर्जा की एक नई लहर का अनुभव कर सकते हैं।