🌊 इस गंगा सप्तमी पर पुनः करें भक्ति, तप और आशीर्वाद की पवित्र यात्रा का अनुभव 🙏🕉️
🌸 जहां से बहती है गंगा की प्रथम धारा, वहीं से प्राप्त करें दिव्य आशीर्वाद 🌼🌿✨
हिंदू धर्म में, माँ गंगा को केवल एक पवित्र नदी के रूप में नहीं बल्कि एक दिव्य देवी के रूप में पूजा जाता है, जो जीवन देने वाली, पापों को दूर करने वाली और मुक्ति प्रदान करने वाली हैं। प्राचीन शास्त्रों के अनुसार, गंगा सप्तमी या गंगा जयंती माँ गंगा के नदी रूप में दिव्य अवतार का प्रतीक है। इस दिन माँ गंगा ने भगवान विष्णु की पूजा में अपना जल अर्पित किया और आकाशीय लोकों में एक सम्मानित स्थान प्राप्त किया। किंवदंतियों के अनुसार, पृथ्वी पर उतरने से पहले देवी गंगा भगवान विष्णु के चरणों में पवित्र जल के रूप में और बाद में भगवान ब्रह्मा के कमंडल (पवित्र जल पात्र) में निवास करती थीं। इस प्रकार, माँ गंगा की उपस्थिति को सर्वोत्तम रूप से शुद्ध और पवित्र माना जाता है, यहाँ तक कि पृथ्वी को छूने से पहले ही।
इस शुभ अवसर पर, श्री मंदिर द्वारा एक पवित्र कलश यात्रा का आयोजन किया जाएगा, जिसमें गंगा के स्रोत गोमुख से पवित्र जल एकत्रित किया जाएगा और उसे गंगोत्री मंदिर तक लाया जाएगा। यह यात्रा राजा भागीरथ की गहरी भक्ति और माँ गंगा के दिव्य अवतरण का प्रतीक है। इस यात्रा के माध्यम से भक्तों को उस आकाशीय ऊर्जा का अनुभव होगा, जो माँ गंगा के पृथ्वी पर अवतरण के समय प्राप्त हुई थी। राजा भागीरथ की कथा केवल एक पुराणिक गाथा नहीं है, बल्कि यह आत्मिक समर्पण और पितरों की मुक्ति का प्रतीक है। कहा जाता है कि भागीरथ के पूर्वज, राजा सगर के 60,000 पुत्र ऋषि कपिल के श्राप से भस्म हो गए थे और उनकी आत्माएँ मोक्ष प्राप्त करने में असमर्थ रही थीं। इस पर भागीरथ ने संकल्प लिया कि वह अपनी तपस्या से माँ गंगा को पृथ्वी पर लाएंगे, ताकि उनके पितरों को गंगाजल का स्पर्श मिल सके और वे मोक्ष प्राप्त कर सकें। भागीरथ ने वर्षों तक कठोर तपस्या की और अंततः माँ गंगा को पृथ्वी पर लाने में सफल रहे। उनकी यह तपस्या "भागीरथ प्रयास" के रूप में प्रसिद्ध है, जो अंतर-पीढ़ी शांति और आध्यात्मिक शांति का प्रतीक मानी जाती है।
इसी अनुभूति और आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए श्री मंदिर द्वारा गंगोत्री धाम में “गंगोत्पत्ति जलाभिषेक एवं भागीरथ तपस्या संकल्प पूजा” का आयोजन किया जा रहा है। गंगोत्री गंगा नदी का आध्यात्मिक उद्गम स्थल है, और गोमुख से गंगाजल का प्रथम प्रवाह प्रारंभ होता है। यहाँ से जल एकत्रित कर गंगोत्री मंदिर तक विशेष कलश यात्रा निकाली जाती है। गंगोत्री में स्थित गंगा घाट वह स्थान है जहाँ माँ गंगा की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इसे पितृ दोष निवारण और जीवन के अन्य कष्टों के समाधान के लिए एक सशक्त माध्यम माना जाता है। यह पूजा आत्मशुद्धि, पूर्वजों की कृपा और ईश्वरीय आशीर्वाद की प्राप्ति का महत्त्वपूर्ण साधन है। आप भी इस पावन अवसर पर इस विशेष पूजा में भाग लें और माँ के साथ-साथ अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करें।