✨ अच्छा स्वास्थ्य देखभाल, औषधि और अनुशासन से आता है, लेकिन हमारे शास्त्र बताते हैं कि शरीर, मन और आत्मा की पूर्ण चिकित्सा के लिए दिव्य कृपा भी आवश्यक है। अश्विनी नक्षत्र के इस पवित्र दिन पर, जो बुधवार और कृष्ण द्वितीया तिथि के साथ आता है, भक्तों को अपने जीवन में ऐसी ही दिव्य चिकित्सा ऊर्जा आमंत्रित करने का दुर्लभ अवसर मिलता है।
🙏 अश्विनी कुमार ऋग्वेद में देवताओं के दिव्य चिकित्सक कहलाते हैं। उनके बारे में कहा गया है कि उन्होंने ऋषि च्यवन को फिर से युवा बनाया, संतानहीन को संतान का आशीर्वाद दिया, अंधों को दृष्टि दी और युद्धभूमि पर गिरे हुए योद्धाओं को पुनः जीवन दिया। उनका नक्षत्र जीवनशक्ति, नए आरंभ और पीड़ा से मुक्ति का प्रतीक है।
🌺 तिरुनेलवेली स्थित एत्तेलुथुपेरुमाल मंदिर में यह पूजा संकल्प और गणेश पूजा से आरंभ होती है, इसके बाद वेदों में वर्णित स्तोत्रों के साथ अश्विनी कुमारों की स्तुति की जाती है। मुख्य अनुष्ठान है 108 औषधि हवन, जिसमें तुलसी (प्रतिरोधक क्षमता), नीम (शुद्धि), ब्राह्मी (एकाग्रता), त्रिफला (ऊर्जा), शतावरी (संतान) और गुग्गुलु (शुद्धिकरण) जैसी पवित्र औषधियों को अग्नि में अर्पित किया जाता है। प्रत्येक आहुति यह प्रार्थना करते हुए दी जाती है कि कमजोरी शक्ति में बदल जाए।
🙏 इसी समय पर पंडितगण 11,000 महामृत्युंजय मंत्रों का जाप करते हैं और भगवान शिव को वैद्यनाथ के रूप में आमंत्रित करते हैं। शिवलिंग पर दूध और शहद का अभिषेक किया जाता है, जो जीवन में अमृत समान पुनर्जागरण के प्रवाह का प्रतीक है।
यह अनुष्ठान अश्विनी कुमारों की तेज कृपा और भगवान शिव के चिकित्सा स्पर्श को एक साथ लाता है, जिससे स्वास्थ्य, ऊर्जा और मन की शांति के लिए दिव्य आशा जागृत होती है।
श्री मंदिर के माध्यम से यह विशेष पूजा आपके जीवन में स्वास्थ्य, जीवनशक्ति और आंतरिक संतुलन के आशीर्वाद लाती है।