♒ जब शनि देव की दिव्य ऊर्जा कुंभ राशि में साढ़े साती के अंतिम चरण में होती है, तब जीवन लगातार परीक्षा जैसा लग सकता है। हर काम में रुकावट आती है, नींद ठीक नहीं रहती, और स्वास्थ्य या परिवार में अचानक तनाव बढ़ सकता है। मन बेचैन रहता है और काम पूरे करना कठिन लगता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, यह समय आत्मा को शुद्ध करने का होता है—क्योंकि शनि देव हमारे कर्मों के अनुसार फल देते हैं। यह समय आध्यात्मिक विकास का है, लेकिन जीवन की कठिनाइयाँ थका देती हैं। इस बोझ को हल्का करने और नए साल से पहले उनकी कृपा पाने के लिए शनि साढ़े साती शांति पूजा की जाती है।
♒इस उपाय की शक्ति प्राचीन ग्रंथ शनि महात्म्य पर आधारित है। इसमें बताया गया है कि कैसे महान राजा विक्रमादित्य भी साढ़े साती में भारी कष्टों से गुज़रे—राज्य खो दिया और कई दुख झेले। लेकिन जब उन्होंने सच्चे मन से शनि देव की प्रार्थना की और विधि-विधान से पूजा की, तब उनके कष्ट खत्म हुए, राज्य लौट आया और जीवन में शांति आई। यह कथा सिखाती है कि चाहे परीक्षा कितनी भी कठोर हो, शनि देव की सच्ची भक्ति राहत और शुभ परिवर्तन लाती है, और दंड को शुद्धि में बदल देती है।
♒इस शक्तिशाली पूजा में मुख्य रूप से तिल के तेल से भगवान शनि देव का अभिषेक किया जाता है। काला तिल और तिल का तेल शनि देव को अत्यंत प्रिय माने जाते हैं, और यह नकारात्मक ऊर्जा व जीवन से बोझ हटाने का प्रतीक है। शुभ शनिवार को यह अभिषेक करने से कठिनाइयों की गर्मी कम होती है और मन में शांति आती है। साढ़े साती का अंतिम चरण नए आरंभ की तैयारी का समय होता है, और यह शांति पूजा रास्ते की रुकावटें दूर करके शनि देव की कृपा, सुरक्षा और शांति प्रदान करती है।
यह विशेष पूजा श्री मंदिर के माध्यम से आपके जीवन में उपचार, शांति और संरक्षण का आशीर्वाद लाती है।