सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। प्रत्येक मास की तरह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष पर भी अमावस्या पड़ती है, जिसे कार्तिक अमावस्या कहते हैं। कार्तिक मास भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि इसी मास में भगवान शिव सृष्टि के संचालन का कार्यभार भगवान विष्णु को वापस सौंपते हैं। यही कारण है कि भगवान विष्णु को समर्पित होने के बावजूद कार्तिक अमावस्या पर भगवान शिव की पूजा भी शुभ मानी जाती है। मान्यता है कि इस तिथि पर भगवान शिव की पूजा करने से सभी प्रकार के दोषों और पापों से मुक्ति मिलती है। इसी कारणवश भक्त इस दिन कुंडली में मौजूद ग्रह दोषों से मुक्ति पाने के लिए कई तरह के अनुष्ठान करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु-केतु की दशा चल रही हो, तो इससे प्रयासों में असफलता, पारिवारिक कलह, बुरी आदतों की लत, आर्थिक तंगी और निर्णय लेने में कठिनाई की संभावना बढ़ जाती है। पौराणिक कथानुसार, जब देवता और असुर अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र का मंथन कर रहे थे, तब अमृत कलश प्राप्त हुआ। भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर देवताओं को अमृत पिलाना शुरू किया, लेकिन असुरों को इससे वंचित रखा। स्वरभानु नामक एक असुर ने देवताओं का रूप धारण कर अमृत पान कर लिया। सूर्य और चंद्रमा ने उसे पहचान लिया और भगवान विष्णु को इसकी सूचना दी। विष्णु जी ने तुरंत अपने सुदर्शन चक्र से स्वरभानु का सिर धड़ से अलग कर दिया। लेकिन चूंकि उसने अमृत पान कर लिया था, इसलिए उसका सिर "राहु" और धड़ "केतु" के रूप में अमर हो गए। भगवान शिव राहु और केतु के देवता है। इसलिए माना जाता है कि कार्तिक अमावस्या पर भगवान शिव की पूजा करने से इन ग्रहों के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलता है।
ज्योतिष शास्त्र में, राहु और केतु के अशुभ प्रभावों से मुक्ति के लिए राहु-केतु पीड़ा शांति पूजा और शिव रुद्राभिषेक को लाभकारी बताया गया है। कहा जाता है कि कार्तिक अमावस्या पर इस अनुष्ठान को करने से राहु-केतु पीड़ा से मुक्ति मिलता है। वहीं यदि यदि यह अनुष्ठान किसी विशेष नक्षत्र के दौरान किया जाए तो यह और अधिक फलदायी हो सकता है। इस बार कार्तिक अमावस्या पर स्वाति नक्षत्र लग रहा है, यह नक्षत्र राहु द्वारा शासित है। इसलिए कार्तिक अमावस्या पर राहु द्वारा शासित स्वाति नक्षत्र के दौरान हरिद्वार के उत्तराखंड मंदिर राहु-केतु पीड़ा शांति पूजा और शिव रुद्राभिषेक का आयोजन किया जा रहा है। श्री मंदिर के माध्यम से इस पूजा में भाग लें और भगवान शिव द्वारा मानसिक स्पष्टता एवं बेहतर निर्णय लेने का आशीर्वाद प्राप्त करें।