कभी जीवन में ऐसा होता है कि मन एक अजीब खालीपन से भर जाता है। आत्मविश्वास कमज़ोर पड़ जाता है और हमारे भीतर की आभा मंद हो जाती है। चाहे जितनी कोशिश करें, शांति हाथ नहीं आती और संबंधों में तनाव महसूस होता है। हमारे शास्त्रों के अनुसार ऐसा तब होता है जब हमारे भीतर की दिव्य स्त्री-ऊर्जा दुर्बल हो जाती है। वर्ष की सबसे शक्तिशाली पूर्णिमा, जिसे शरद पूर्णिमा कहा जाता है, पर यह दिव्य ऊर्जा पुनः जागृत की जा सकती है। इस रात चंद्रमा से अमृत वर्षा होती है और मां महात्रिपुरा सुंदरी, जो दिव्य सौंदर्य और कृपा की देवी हैं, की पूजा से आंतरिक आभा पुनः प्रज्वलित होती है और गहन शांति का अनुभव मिलता है।
शरद पूर्णिमा की पवित्रता अनेक दिव्य कथाओं में वर्णित है। ऐसा माना जाता है कि इसी रात भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन में गोपियों के साथ महा रासलीला की थी। पूर्णिमा का चंद्रमा भी इस दिव्य प्रेम लीला का साक्षी बनने के लिए स्थिर हो गया था। यह रात कोजागिरी पूर्णिमा के नाम से भी प्रसिद्ध है, जब मां लक्ष्मी स्वयं पृथ्वी पर अवतरित होकर जागरण और उपासना करने वालों को धन और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। देवी पुराण में भी इस दिन मां त्रिपुरा सुंदरी की उपासना को आध्यात्मिक शांति और ऐश्वर्य प्रदान करने वाला बताया गया है।
ललिता माता शक्तिपीठ में आपके लिए विशेष महात्रिपुरा सुंदरी षोडशी यज्ञ संपन्न कराया जाएगा। इस यज्ञ की पवित्र अग्नि चंद्रमा के अमृत को ग्रहण करने का माध्यम बनेगी। इसमें अर्पित की जाने वाली आहुतियाँ मां त्रिपुरा सुंदरी अर्थात षोडशी देवी की कृपा का आह्वान करेंगी, जो सोलह कलाओं की पूर्णता और परम सौंदर्य का प्रतीक हैं। यह शक्तिशाली अनुष्ठान आपके आत्मविश्वास को पुनः स्थापित करने, हृदय में शांति भरने और जीवन में ऐसी चुंबकीय आभा प्रदान करने के लिए माना जाता है जो सकारात्मकता और आनंद को आकर्षित करती है।
श्री मंदिर के माध्यम से शरद पूर्णिमा पर किया जाने वाला यह विशेष महायज्ञ आपके जीवन में दिव्य सौंदर्य, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद लाता है।