ज्योतिष में केतु को ऐसा ग्रह माना जाता है जो मन के भीतर छुपी हुई परतों को उजागर करता है। यह व्यक्ति को बाहरी भाग-दौड़ से हटाकर भीतर झाँकने की प्रेरणा देता है। कई बार ऐसा भी माना जाता है कि जब मन उलझन में फँस जाता है, निर्णय लेना मुश्किल होने लगता है या रास्ते साफ़ दिखाई नहीं देते, तब यह केतु की ऊर्जा हो सकती है। केतु का स्वभाव रहस्यमय है, क्योंकि यह व्यक्ति को भौतिक आकर्षणों से थोड़ा दूर ले जाकर मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर गहराई से सोचने के लिए प्रेरित करता है।
केतु को दिशाहीन ग्रह कहा जाता है, और इस समझ के पीछे एक पौराणिक कथा जुड़ी है। समुद्र मंथन के समय जब देवताओं और असुरों ने मिलकर अमृत प्राप्त किया, तब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर देवताओं को अमृत देना शुरू किया। उसी क्षण असुर स्वरभानु छल से देवताओं की पंक्ति में बैठ गया और उसने अमृत पी लिया। सूर्य और चंद्रमा ने यह देखकर भगवान विष्णु को बताया, और विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से स्वरभानु का सिर धड़ से अलग कर दिया। चूँकि उसने अमृत पी लिया था, इसलिए उसका सिर और धड़ दोनों अमर हो गए। सिर वाला भाग राहु कहलाया और धड़ वाला भाग केतु।
क्योंकि केतु के पास सिर नहीं है, इसे दिशा की समझ कम होने का प्रतीक माना जाता है। यही कारण है कि ज्योतिष में केतु को भ्रम, अनिश्चितता और मानसिक उलझनें बढ़ाने वाला बताया गया है। पर यह भी माना जाता है कि यही ऊर्जा व्यक्ति को आध्यात्मिकता, ध्यान, आंतरिक शांति और जीवन के गहरे सत्य की ओर ले जाती है। इसलिए केतु को हमेशा नकारात्मक नहीं देखा जाता यह ग्रह कभी-कभी व्यक्ति को उसके वास्तविक मार्ग पर ले जाने वाला भी माना जाता है।
🔮 केतु के प्रभाव से राहत का मार्ग
शास्त्रों में बताया गया है कि जब मन लगातार भटक रहा हो या निर्णय लेना मुश्किल हो रहा हो, तब केतु मूल मंत्र का जप अत्यंत शांतिदायक माना गया है। पारंपरिक मान्यता के अनुसार, 7,000 केतु मूल मंत्र जाप और विशेष हवन मन की बेचैनी को कम करने और सोच में स्पष्टता लाने में सहायक बताए जाते हैं। इस प्रक्रिया को बुधवार के दिन करना अधिक शुभ माना गया है, क्योंकि यह दिन ग्रह केतु से संबंधित माना जाता है।
इसी उद्देश्य से श्री बड़ा गणेश मंदिर, उज्जैन में यह विशेष केतु शांति अनुष्ठान किया जा रहा है। ऐसा माना जाता है कि इस प्रकार की साधना मन को हल्का करती है, दिशा को स्पष्ट करती है और जीवन के निर्णयों को समझने के लिए एक शांत वातावरण प्रदान करती है।
आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस अनुष्ठान में सम्मिलित होकर अपने भीतर की स्थिरता, स्पष्टता और मानसिक संतुलन की ओर एक सार्थक कदम रख सकते हैं।