💫 वैकुंठ एकादशी पर श्री विष्णु पूजा से इस और पिछले जन्मों के पापों को धोने का आशीर्वाद पाएं 💫
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वैकुंठ एकादशी: पिछले 7 जन्मों के पापों से मुक्ति के लिए भगवान विष्णु का आशीर्वाद

7 पिछले जन्मों के पाप नाशक विशेष 11 विष्णु सहस्रनाम पाठ पाप क्षय महायज्ञ के साथ

पिछले पापों से मुक्ति और कर्मों के बोझ से मुक्ति पाने के लिए
temple venue
एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर, तिरुनेलवेली, तमिलनाडु
pooja date
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💫 वैकुंठ एकादशी पर श्री विष्णु पूजा से इस और पिछले जन्मों के पापों को धोने का आशीर्वाद पाएं 💫

🌸वैकुंठ एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित एक अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। शास्त्रों में इस एकादशी का विशेष वर्णन मिलता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन वैकुंठ के द्वार खुलते हैं और भगवान विष्णु की उपासना करने से मन की शुद्धि तथा आत्मिक जागरूकता का भाव उत्पन्न होता है। परंपराओं के अनुसार, वैकुंठ एकादशी का व्रत और पूजन व्यक्ति को अपने कर्मों पर चिंतन करने और जीवन में सकारात्मक दिशा अपनाने की प्रेरणा देता है। मान्यता है कि इस दिन की गई विष्णु उपासना से व्यक्ति अपनी असफलताओं, मानसिक भ्रम और नकारात्मक प्रवृत्तियों को समझने का अवसर प्राप्त करता है। चूंकि वैकुंठ एकादशी को आत्मिक उन्नति, संयम और साधना से जोड़ा जाता है। इसीलिए इस पावन अवसर पर श्री मंदिर द्वारा 11 बार विष्णु सहस्रनाम पाठ और पाप क्षय महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है।

🌸 शास्त्रों से प्राप्त वर्णन के अनुसार वैकुंठ एकादशी पर विष्णु सहस्रनाम का 11 बार पाठ अत्यंत शुभ माना जाता है। भगवान विष्णु के ये हज़ार पवित्र नाम उनकी अनंत शक्ति, करुणा और जीवन में सफलता देने की क्षमता का प्रतीक हैं। विद्वान पंडितों द्वारा किया गया यह पाठ नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है, मन को शांत करता है, कठिनाइयों को कम करता है और संचित कर्मों को पुण्य में बदलने में सहायक होता है। शास्त्रों में कहा गया है कि सहस्रनाम पाठ बाधाएँ दूर करता है और जीवन में समृद्धि, स्थिरता और सफलता के लिए दिव्य कृपा आकर्षित करता है।

🌸 एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर में पाप क्षय महायज्ञ
यह महायज्ञ तमिलनाडु के तिरुनेलवेली स्थित भगवान विष्णु को समर्पित प्राचीन एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर में आयोजित किया जाता है। यह मंदिर जीवन की पीड़ाओं से मुक्ति और अनेक जन्मों के पापों की शुद्धि के लिए प्रसिद्ध है। महायज्ञ में वैदिक मंत्रोच्चार, हवन कुंड में पवित्र आहुतियाँ और तुलसी से जुड़े विशेष अनुष्ठान शामिल होते हैं। माना जाता है कि इसमें सहभागिता करने से पाप कम होते हैं, पितरों का आशीर्वाद बढ़ता है और धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की दिशा में व्यक्ति की शक्ति बढ़ती है।

🔔 इस वैकुंठ एकादशी पर श्री मंदिर द्वारा आयोजित 11 विष्णु सहस्रनाम पाठ और पाप क्षय महायज्ञ का यह पावन अवसर न चूकें। भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करें और जीवन में सफलता, पवित्रता और पूर्णता का स्वागत करें।

एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर, तिरुनेलवेली, तमिलनाडु

एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर, तिरुनेलवेली, तमिलनाडु
तमिलनाडु के तिरुनेलवेली में स्थित एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर एक पूजनीय तीर्थस्थल है। 120 साल पहले प्रतिष्ठित ऋषि मायांडी सिद्धर द्वारा स्थापित यह मंदिर चिरस्थायी परंपरा और भक्ति का प्रमाण है। ऋषि मायांडी सिद्धर ने भगवान राम के गहन ध्यान और दर्शन के बाद मंदिर का निर्माण कराया था। मंदिर में कई चमत्कार हुए हैं, जिनमें भगवान पेरुमल की मुख्य मूर्ति भी शामिल है, जिसे मूर्तिकला का कोई औपचारिक ज्ञान न रखने वाले एक साधारण व्यक्ति ने गढ़ा था। मंदिर में कई पवित्र मूर्तियाँ हैं, जिनमें शुद्ध स्पष्ट क्वार्ट्ज से बना उल्लेखनीय स्फटिक लिंगम भी शामिल है। शास्त्रों के अनुसार, स्फटिक लिंगम की पूजा करने से भक्तों में आत्मविश्वास, आत्म-सम्मान और शक्ति आती है, साथ ही चिंताएँ और नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं।

यह स्फटिक लिंगम विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह ऋषिकेश के बाद भारत में सबसे बड़े स्फटिक लिंगम में से एक है। यह मंदिर भगवान राम से जुड़े होने के कारण भी प्रसिद्ध है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह वह स्थान है जहाँ भगवान राम ने जटायु को मोक्ष प्रदान किया था और अपने पिता का अंतिम संस्कार किया था। भक्तगण भगवान राम, भगवान कृष्ण, भगवान कार्तिकेय, भगवान शिव और भगवान हनुमान से आशीर्वाद लेने के लिए एट्टेलुथुपेरुमल मंदिर आते हैं। माना जाता है कि यहाँ पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी होती हैं और उन्हें सभी प्रयासों में सफलता मिलती है।

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