😞 क्या आप नकारात्मकता से घिरे हुए हैं? 🌀
🙌 मोहिनी एकादशी पर इस विशेष पूजा में भाग लें और ब्रह्मांड के संरक्षक भगवान विष्णु से पूर्ण सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त करें। ✨
हर वर्ष मोहिनी एकादशी का पवित्र पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु के आशीर्वाद को प्राप्त करना अत्यंत शुभ और फलदायी होता है। प्राचीन कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु ने स्वयं युधिष्ठिर से इस एकादशी का महत्व बताया था। कहा जाता है कि यह दिन भगवान विष्णु को विशेष प्रिय है, और इस दिन श्रद्धा भाव से उनकी पूजा करने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं, जिससे भक्तों को सुख, समृद्धि और सुरक्षा का आशीर्वाद मिलता है। जैसे काशी को भगवान शिव का नगर माना जाता है, वैसे ही प्रयागराज को भगवान विष्णु का “नगर” माना जाता है। इसी मान्यता के अनुसार, इस अवसर पर प्रयागराज के प्रतिष्ठित श्री वेणी माधव मंदिर में विष्णु अष्टावतार पूजन, अभिषेक और सुदर्शन यज्ञ का विशेष आयोजन किया जाएगा।
भगवान विष्णु को प्रयागराज का रक्षक क्यों कहा जाता है? जानें वेणी माधव मंदिर के पीछे की रोचक कहानी जानिए! 🛕
ऐसा माना जाता है कि प्रयागराज में स्थित श्री वेणी माधव मंदिर का उल्लेख पवित्र ग्रंथों जैसे मत्स्य पुराण, अग्नि पुराण और पद्म पुराण में किया गया है। इन ग्रंथों में इस क्षेत्र को भगवान विष्णु का पहला आसन (स्थल) माना गया है। कथानुसार, जब भगवान विष्णु ने अपने भक्तों को राक्षस गजकर्ण से बचाया, तो उन्होंने प्रयागराज में निवास करने का निर्णय लिया। राक्षस गजकर्ण ने गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के पवित्र जल को निगल लिया था, जिससे इन नदियों की दिव्य धारा अवरुद्ध हो गई थी। एक भयंकर युद्ध के दौरान, भगवान विष्णु ने अपने शक्तिशाली सुदर्शन चक्र का उपयोग करके गजकर्ण का वध किया। जैसे ही राक्षस का नाश हुआ, पवित्र नदियाँ फिर से बहने लगीं और अपने मूल मार्गों पर लौट आईं। त्रिवेणी संगम की पवित्रता की रक्षा के लिए, भगवान विष्णु ने प्रयागराज में सदैव के लिए वेणी माधव के रूप में निवास करने का संकल्प लिया। इसलिए, यह विश्वास किया जाता है कि इस मंदिर में विष्णु अष्टावतार पूजन, अभिषेक और सुदर्शन यज्ञ जैसे विधियों को करने से भक्तों को नकारात्मकता से मुक्ति मिलती है और उन्हें पूर्ण सुरक्षा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
विष्णु अष्टावतार पूजन एक दिव्य अनुष्ठान है, जो भगवान विष्णु के आठ अवतारों को समर्पित है। इस पूजा में, भगवान विष्णु के प्रत्येक रूप की उचित वैदिक विधियों से पूजा की जाती है, जिससे भक्तों को इच्छाओं की पूर्ति और आध्यात्मिक एवं भौतिक सुरक्षा का आशीर्वाद मिलता है। मान्यता है कि इस पूजा के साथ पंचामृत अभिषेक और सुदर्शन यज्ञ करना अत्यधिक लाभकारी होता है। आप भी श्री मंदिर के माध्यम से इस पवित्र अनुष्ठान का हिस्सा बन सकते हैं, तो देर न करें। भगवान विष्णु का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करें।