ज्योतिष शास्त्र में सभी ग्रहों का काफी महत्व होता है, क्योंकि इन्हीं ग्रहों के कारण व्यक्ति के जीवन में खुशियां और परेशानियां आती हैं। इनमें सबसे खतरनाक ग्रह राहु को माना जाता है, क्योंकि यह जीवन में कई परेशानियां लाता है। जिस भी कुंडली में राहु युति करता है, उस कुंडली में राहु अशुभ प्रभाव प्रदान करता है। राहु के अशुभ प्रभावों से व्यक्ति के जीवन में मानसिक अस्थिरता, भय एवं चिंता जैसी कई तरह की समस्याओं का सिलसिला लगा रहता है। यदि किसी जातक पर राहु की बुरी दृष्टि पड़ जाए तो वह व्यक्ति दिन पर दिन शारीरिक रूप से कमजोर होने लगता है, बुरी आदतों में फंस जाता है और कई बार आत्मविश्वासी और कलंक का भी भागी बन सकता है। वहीं जीवन में कई अशुभ घटनाओं का कारण भी राहु दोष बनता है। वैसे तो राहु जातक के जीवन में बुरे परिणाम देने के लिए विख्यात है। इसके बावजूद राहु की अपनी विशेषता है। यदि यह कुंडली में शुभ स्थान पर हो, तो उसे जीवन में सफलता, लग्जरी और कई अन्य सुखद परिणाम मिल सकते हैं। ज्योतिष में राहु को छाया ग्रह कहा गया है, जिसका अर्थ यह है कि अन्य ग्रहों की तरह इसका कोई भौतिक स्वरूप नहीं होता। इस रूप में होने के बावजूद इसके दुष्प्रभाव सबसे भयावह हैं।
वैसे राहु की उत्पत्ति की कहानी भी बेहद रोचक है, समुद्र मंथन के दौरान स्वरभानु नामक राक्षस ने धोखे से अमृत की कुछ बूंदें पी लीं। सूर्य देव और चंद्र देव ने उसे पहचान लिया और मोहिनी रूप में भगवान विष्णु को इसकी जानकारी दी। इससे पहले कि अमृत उसके गले से नीचे उतर पाता, भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उसका सिर काट दिया। लेकिन तब तक उसका सिर अमर हो चुका था। यह सिर राहु बना और धड़ केतु। लोग राहु के प्रभाव से बचने के लिए कई अनुष्ठान करते हैं जिसमें राहु मूल मंत्र जाप भी है। ऐसे में अमावस्या के शुभ दिन राहु के प्रभाव को कम करने के लिए 18,000 राहु मूल मंत्र जाप एवं दशांश हवन का आयोजन किया जाएगा। भारतीय परम्पराओ में हवन का बहुत महत्व बताया गया है। दशांश हवन प्रत्येक मंत्रो को सिद्ध करने के बाद किया जाता है। दशांश हवन का अर्थ होता है कि जितना जप किया है उसका दस प्रतिशत हवन कर देना। यह पूजा उत्तराखंड के राहु पैठाणी मंदिर में आयोजित की जाएगी। इस मंदिर को देश के उन चुनिंदा राहु मंदिरों में से एक बताया जाता है, जहां भगवान शिव के साथ राहु की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इस मंदिर में पूजा करने से भक्तों को राहु देव के साथ भगवान शिव की भी कृपा प्राप्त होती है।