🔱 शनि शांति पूजन और श्री भैरव और मां काली रक्षा कवच महायज्ञ की शक्ति महसूस करें 🔱
शनिवार को शनिदेव, श्री भैरव देव और मां काली की पूजा का विशेष महत्व माना गया है। शनिदेव कर्मों के अनुसार फल देने के साथ-साथ व्यक्ति के जीवन में न्याय का संतुलन बनाए रखते हैं। वहीं, भैरव देव भगवान शिव के रूप में नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करने वाले देव हैं। मां काली, शक्ति की अवतार मानी जाती हैं, जो अंधकार को नष्ट करती हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ा सकती हैं। इसलिए, इस दिन इन तीनों देवताओं के अनुष्ठान बेहद फलदायी माने गए हैं।
🔹 शनि ग्रह शांति पूजन का सनातन में बड़ा महत्व है, क्योंकि शनि ग्रह न्याय के देवता हैं। यह पूजन व्यक्ति के पिछले कर्मों को सुधारने की शक्ति रखता है। शनि ग्रह शांति पूजन से व्यक्ति के जीवन में पैदा हुए शनि दोष दूर हो सकते हैं और शांति-समृद्धि का रास्ता मजबूत होता है। माना गया है कि इस पूजन में शनि देव के मंत्रों का उच्चारण, तेल अभिषेक, शनि के शास्त्रों का पाठ विधिवत आराधना की तरह किया जाता है, जिससे शनि दोष शांत हो सकते हैं और सकारात्मक ऊर्जा पूरे परिवार में फैलती है। यह पूजा व्यक्ति को जीवन में स्थिरता और उन्नति का रास्ता दिखा सकती है।
🔹काली रक्षा कवच यज्ञ एक विशेष हवन है, जो मां काली की पूजा और रक्षा के लिए किया जाता है। मां काली रक्षात्मक शक्तियों की देवी मानी गई हैं, जो अपने भक्तों को बुरी ताकतों से बचाती हैं। इस यज्ञ में विशेष रूप से काली मां के मंत्रों का उच्चारण किया जाता है, जिससे उनके आशीर्वाद से शत्रु, संकट और नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा मिल सके। यह यज्ञ विशेष रूप से मानसिक और शारीरिक संकटों को दूर करने, रक्षात्मक शक्ति बढ़ाने, और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए किया जाता है।
🔹भैरव देव का अनुष्ठान एक शक्तिशाली धार्मिक महापूजा है, जो भगवान भैरव को प्रसन्न करने और जीवन में समृद्धि और सुरक्षा के लिए की जाती है। भगवान भैरव, शिव जी के उग्र रूप हैं, जो नकारात्मक शक्तियों को नष्ट करने, बाधाओं से राहत दिलाने और भक्तों को सुरक्षा देने वाले देव माने गए हैं। इस अनुष्ठान में विशेष रूप से भैरव मंत्रों का उच्चारण, हवन और तंत्र विधियों का पालन किया जाता है, जिससे जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो सकें। यह अनुष्ठान शत्रुओं से रक्षा, मानसिक शांति और कष्टों से राहत की दिशा मजबूत करता है।
श्री मंदिर द्वारा कोलकाता के शक्तिपीठ कालीघाट मंदिर में इस अनुष्ठान का आयोजन हो रहा है। त्रिशक्तियों का आशीष पाने का यह स्वर्णिम अवसर है, जिसे हाथ से न जाने दें!